जानिये ट्रीमैन शिक्षक राजेश सुमन के बारे में, फीस के बदले बच्चों से लेते हैं 18 पौधे

बिहार के एक शिक्षक जिनका नाम राजेश सुमन है वो आजकल चर्चा में बने हुए है। PM नरेन्द्र मोदी ने भी उनकी तारीफ़ की है। राजेश सुमन बच्चो को शिक्षा देने अर्थात पढ़ाने का कार्य करते हैं। राजेश बच्चों से पढ़ाई की फ़ीस नहीं लेते बल्कि फीस के बदले 18 पौधे लेते हैं। इन्हें बिहार का ट्रीमैन या ऑक्सीजन मैन भी कहा जाता है। उनका मिशन शिक्षा के साथ ही अपने पर्यावरण का संरक्षण अपने छात्रों से फीस के बदले पौधे ले करते हैं, और फिर उसे तत्काल रोप देते हैं, ताकि हरियाली बनी रहे।

करते है बिल्कुल निशुल्क कोचिंग सन्चालन

आपको बता दें कि राजेश कुमार पूर्ण रूप से निशुल्क कोचिंग का सन्चालन करते हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराते हैं। फीस के रूप में वे छात्रों से सिर्फ 18 पौधे लाने को कहते हैं। छात्र भी खुशी-खुशी इस गुरुदक्षिणा को दे दिया करते हैं। राजेश सुमन ने यह काम पौधारोपण के मिशन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से प्रारम्भ किया है।

यहाँतक कि, राजेश सुमन राज्य बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में भी जाते हैं और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक करने का कार्य भी करते हैं। अब तक इस मिशन के द्वारा उन्होंने 1 लाख 10 हजार पौधे विभिन्न क्षेत्रों मे लगा दिए हैं। साथ ही आपको बता दें कि राजेश सुमन बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा थाना क्षेत्र के ढरहा गाँव के कुशवाहा टोल के रहनेवाले हैं। वे BSS क्लब के नाम से ग्रीन पाठशाला को चलाते हैं।

राजेश सुमन की आयु अभी 33 वर्ष की है, वे साल 2008 से ही कोचिंग (ग्रीन पाठशाला) चला रहे हैं। यह कोचिंग रोसड़ा में है, जहाँ छात्रों को शिक्षित वालंटियर की मदद दी जाती है। छात्र इन्हें प्रेम से पौधावाले गुरुजी सेे भी संबोधित करते हैं। साथ ही उन्होने बताया कि अपने मामा की याद में उन्होने ग्रीन पाठशाला BSS की स्थापना की। उनकेे मामा हमेशा गरीबों की सेवा करने के लिए प्रेरित करते थे।

जाने की 18 पौधे लेने के पीछे ये है वजह क्या है

शिक्षक राजेश सुमन बच्चो से 18 पौधे ही क्यों लेते हैं, इसके पीछे भी एक मुख्य कारण है। राजेश वैज्ञानिक कारण बताते हुए कहते हैं कि कोई व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी में इतना ऑक्सीजन लेता है, जितना 18 पौधे पैदा करते हैं। इसलिए वह एक छात्र से 18 पौधे की माँग कारते है। साल 2008 से अब तक मे उनके द्वारा लगभग पाँच हजार बच्चों को कोचिंग की सुविधा दी गयी है। तो इससे पर्यावरण के प्रति लगाए गए पेड़ों की संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है कि उसकी संख्या क्या होगी।

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