देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को लेकर युवाओं में अलग ही दीवानगी देखने को मिलती है। युवा इसकी तैयारी में जीवन के कई वर्ष गुजार आईएएस बनते हैं, तो कई तपती भट्टी में जलकर भस्म हो जाते हैं। इनमें से कई ऐसे छात्र होते हैं, जिनका जीवन संघर्षों से भरा होता है। एक ऐसी ही कहानी निधि बंसल की है, जिन्होंने IAS बनने की चाह में दो बार आईपीएस की नौकरी छोड़ दी।
मध्य प्रदेश के मुरैना से आने वाली निधि बंसल के पिता लोहे के व्यापारी है। मुरैना में प्रारंभिक पढ़ाई के बाद निधि ने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा पास की। जिसके बाद एनआईटी त्रिचि से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद बेंगलुरु के बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी भी मिली। लेकिन निधि ने आईएएस बनने की चाह में इसे भी ठुकरा दिया।
सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए निधि ने दिल्ली का रुख किया। पहले प्रयास में असफलता के बाद निधि ने अलग रणनीति से यूपीएससी की तैयारी की। साल 2016 में दूसरे प्रयास में 219वीं रैंक हासिल की। निधि को त्रिपुरा कैडर में आईपीएस का अफसर का पद आवंटित हुआ।
लेकिन निधि ने आईएएस अधिकारी के लिए फिर तीसरे दफा यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार उन्हें 226 वीं रैंक के साथ झारखंड कैडर में आईपीएस के लिए पद आवंटित हुआ। इस बार भी निधि अपने परिणाम से संतुष्ट नहीं थी। पांचवी प्रयास में 23 वां रैंक हासिल कर आईएएस अफसर बन गई। निधि ने यह साबित कर दिया कि जिस चीज को शिद्दत से चाहो उसे जुटाने में पूरी कायनात लग जाती है।