“खुद को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है” कवि मुहम्मद इकबाल के यह शब्द निसंदेह जोश का संचार करने वाले हैं। फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले आईएएस अफसर सी वनमति की कहानी संघर्षों से भरी पड़ी है। आर्थिक तंगी के चलते कभी पशुओं को चारा खिलाने वाली सी वनमति की कहानी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए एक मिशाल है। आइए इनकी कहानी से रूबरू होते हैं।
सी वनमती वन केरल के इरोड जिले से आती हैं। अति साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली वनमति बाल्य काल में पशुओं को चारा खिलाती थी, यहां तक की भैंस भी चराने जाया करती थी। वनमति शुरू से ही मेधावी छात्र थी और अपनी प्रतिभा के दम पर अपने घर की स्थिति को बदलने की ख्वाहिश रखती थी। जब वनमती ने 12वीं की पढ़ाई खत्म की तभी से उनके ऊपर परिवार से लेकर रिश्तेदार वाले शादी का दबाव डाला करते थे।
लेकिन वनमति इन सबों से इतर अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहती थी। उन्होंने एक धारावाहिक में एक्ट्रेस को आईएस अधिकारी के तौर पर देखा था। जिसके बाद वनमति ने भी आईएएस अफसर बनने की ठान ली। वनमति के रास्तों में रोड़े आते गए लेकिन उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिस दिन साक्षात्कार था, उस दिन के पिता अस्पताल में भर्ती थे। पिता को देखते हुए वनमति ने इंटरव्यू दिया।
पाली प्रयास में वनमति को असफलता ही हाथ लगी। लेकिन उन्होंने जमकर तैयारी की और दूसरे ही प्रयास में साल 2015 में सिविल सर्विसेज एग्जाम को क्लियर किया और बन गई आईएस अधिकारी। यह सफर आसान नहीं था, इस दौरान उन्होंने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने और गुजर-बसर के लिए एक निजी बैंक में नौकरी भी की। लेकिन अपने लक्ष्य को तक पहुंचने के लिए आईएएस की तैयारी करती रहीं।