यह धारणा बनी हुई है की मैकेनिक का काम सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं इस तरह के काम लड़कियों के बस के नहीं. पर इस धारणा को रेवती गलत साबित करती हैं. अक्सर मैकेनिक दुकानों के पर लड़के या पुरुष ही काम कर रहे होते हैं. पर रेवती एक मैकेनिक है जो मैकेनिक के तौर पर सिर्फ पुरुषों के काम करने को गलत साबित करती है.
Hello Vizag की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेन्डुर्थी, विशाखापटनम की निवासी के. रेवती जो बी.कॉम की पढ़ाई पूरी कर चुकी है कि रेवती ने 8वीं में ही टायर का पंचर ठीक करने का हुनर सीख लिया था. अब लगभग 10 साल के अनुभव के बाद रेवती पूरी गाड़ी ख़ुद असेम्बल कर सकती है. New Indian Express की एक रिपोर्ट में बताया है कि, रेवती के पिता के.रामू ने ही रेवती को मेकैनिक्स की दुनिया से परिचित करवाया. रेवती के पिता की पेन्डुर्थी में एक मैकेनिक शॉप है.
रेवती बताती हैं कि ‘जब मैं 17 साल की उम्र की थी तब मैं आसानी से कार और दुपहिया गाड़ी के इंजन की ख़राबी, क्लच प्लेट आदि ठीक कर लेती थी. स्कूल के बाद पिता की दुकान पर उनकी मदद करने आ जाती जिन्हें विश्वसनीय असिस्टेन्ट नहीं मिलते थे. मुझे अपने पिता की मदद करके ख़ुशी होती और धीरे-धीरे मुझे ये काम पसंद आने लगा’.
के.रामू ने भी अपनी बेटी रेवती इस काम के लिए समर्थन दिया और उसे कभी ‘घर जाने’ को नहीं कहा. रेवती के पिता ने बताया कुछ समय मे ही उनको पता चल गया कि रेवती को मैकेनिक के काम मे दिलचस्पी है. रेवती के पिता ने आगे कहा कि अगर उनकी आर्थिक स्तिथि ठीक होती तो वो रेवती को मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई कराते. आभी रेवती स्कूटर बनाने वाली कंपनी BEV Electronics में काम कर रही है. वो इस कंपनी में इकलौती महिला कर्मचारी थी लेकिन सहकर्मियों ने रेवती को सपोर्ट किया.