बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री के बाद किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लिए राज्य सरकार लगातार ठोस पहल कर रही है। और सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही दाखिल खारिज के नियमों में भी बड़ा बदलाव किया है। बता दें कि बिहार में भूमि विवाद के मामलों को देखते हुए सरकार इसे गंभीरता से ले रही है और इस क्षेत्र में सुधार के सकारात्मक प्रयास कर रही है।
राज्य सरकार लगातार जमीन रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज और भू राजस्व संग्रहण के नियमों में बदलाव कर रही है। दूसरी और राज्य के विभिन्न क्षेत्रीय निबंधन कार्यालय में 24 दिसंबर तक एक लाख 27 हजार निबंधित कागजात लंबित है। इसका मतलब की निबंधन होने के बाद भी उनके मालिक हार्ड कॉपी लेने अभी तक नहीं आए हैं।
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग अब इनके निवारण में भीड़ गई है। सोमवार को आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि 15 जनवरी तक सभी निबंधन कार्यालयों को निबंधित दस्तावेजों को संबंधित पक्षकारों को उपलब्ध कराने या नियम के अनुसार नष्ट करने का आदेश दिया गया है।
उन्होंने बताया कि दिसंबर महीने तक 3420 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य रखा गया था जिसके विरुद्ध 3431.55 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई। यह लक्ष्य का 100.34 प्रतिशत है। इसमें माडल डीड के जरिए 24 दिसंबर तक पांच हजार से अधिक दस्तावेजों का निबंधन कराया गया है। पांच दिनों के बाद ही मूल कागजात लेना अनिवार्य है।
राजस्व विभाग अब निबंधन दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन के काम में लग गया है। सबसे पहले 1950 से 1995 तक के दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन होगा। इसके लिए टेंडर भी निकाला गया है। डिजिटाइजेशन हो जाने से रिकार्ड सुरक्षित रहेंगे ही, आमलोगों को जल्द अभिलेख उपलब्ध कराने में भी सहायता होगी।