आपको बता दें कि बिहार सरकार लगातार कोशिश कर रही है की बिहार में ज्यादा से ज्यादा गन्ने से जुड़ा उद्योग बढ़ाया जा सके। ऐसे स्थिति में गन्ने से जुड़ा जूस का काम और गुड़ बनाने का काम और इनसे जुड़े चॉकलेट जैसे अन्य पदार्थ बनाने का काम करने की तैयारी सरकार कर रही है। गन्ने से जुड़े व्यापारियों को निवेश के लिए सरकार प्रोत्साहन दे रही है।
गन्ना उद्योग विभाग ने कहा है कि गन्ने के काम को आगे बढ़ाने के लिए नए तरह के नियम कानून एवं पॉलिसियाँ तैयारी की जा रही है। इन पॉलिसी मे ज्यादा से ज्यादा उद्यमियों का टैक्स माफ़ होगा और निवेशक भी आएगा। गन्ने की मदद से ज्यादा से ज्यादा पदार्थ बनाए जा सकेंगे। इस कार्य को करने के लिए पूंजीगत निवेश 50 फ़ीसदी करने की बात चल रही है, साथ ही अधिकारियों का कहना है कि चॉकलेट, टॉफी, ड्राई फ्रूट जैसे उत्पाद तैयार करने के लिए आधुनिक तकनीकें इस्तेमाल की जाएंगी।
इस तरह से बिहार में होगा आधुनिकरण
अगर सब कुछ सरकार की नीति के मुताबिक़ चलता है तो किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आएगी। इस पॉलिसी के तहत वित्तीय सहायता भी किसानों को सरकार की ओर से मुहैया कराई जाएगी। इससे बिहार में मौजूद गन्ना इंडस्ट्री फल-फूल सकेगी। अगर बिहार में गन्ने की इंडस्ट्री लग जाती है तो डिब्बाबंद गन्ने के पैकेट भी बिकने लगेंगे। इन पैकेट में गन्ने का रस होगा। सरकार ने अत्याधुनिक मशीनें खरीदने पर भी अनुदान की पेशकश की है।
आपको यह जानकर खुशी होगी कि रणनीति के मुताबिक गन्ने की मशीन मॉल में, दुकान में मौजूद होंगी। जहाँ पर आसानी से गन्ने का जूस लेकर पिया जा सकेगा। वही ठेले पर गन्ना बेचने वालों को भी इसका फायदा मिलेगा। गन्ने का रस बेचने वाली मशीन जो इंजन से चलती है वह भी काफी प्रचलित है।
इस बार इथेनॉल के प्रावधान के साथ-साथ गन्ना उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके पीछे साफ मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके और गन्ने की इंडस्ट्री आगे बढ़ सके। पॉलिसी में बदलाव का एकमात्र कारण है कि ज्यादा से ज्यादा निवेशक बिहार में निवेश कर सकें।