बिहार सरकार प्रदेश में पर्यटन को लेकर संभावनाएं तलाशने में जुटी हुई है। सरकार प्रदेश के प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट पर आने वाले सैलानियों को प्रदेश की अन्य जगह पर ले जाने की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में सरकार ने बड़े प्लान पर काम शुरू किया है। इस योजना के तहत प्रदेश में आगामी 3 वर्ष में 64 टूरिस्ट पैलेस को डेवलप किया जाएगा। राज में हर साल देसी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इस वजह से पर्यटन विभाग ने प्रदेश के तमाम पर्यटन सर्किट के रास्तों में सुविधाएं में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। इनमें पर्यटकों के रहने से लेकर खाने व मनोरंजन सहित तमाम तरह की सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी।
बता दें कि प्रदेश में 2015 में 2.80 करोड़ देशी और 9.24 लाख विदेशी पर्यटक राज्य आये थे। 2019 में देशी टूरिस्टों की संख्या 3.40 करोड़ तो 11 लाख विदेशी पर्यटकों की संख्या हो गयी। इस साल अगस्त तक राज्य में 84 लाख से ज्यादा देशी , तो 12 हजार से अधिक विदेशी टूरिस्ट बिहार आ चुके हैं।
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विभाग के अनुसार मार्गीय सुविधाओं के लिए चार मॉडल निर्धारित किए गए हैं। प्रीमियम मार्गीय सुविधा के तहत हर 50 किमी पर प्रीमियम मार्गीय सुविधाएं डेवलप होंगी। तकरीबन डेढ़ एकड़ भूमि में सुविधाएं विकसित होंगी। स्टैंडर्ड मार्गीय सुविधा हर 30 किलोमीटर की दूरी पर डेवलप रहेगी। इसके लिए एक एकड़ जमीन का इस्तेमाल होगा।
वहीं, 30 किमी की दूरी पर बेसिक मार्गीय सुविधा विकसित होगी। इसके लिए 7500 वर्गफुट भूमि का इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया है, जबकि फिलहाल मार्गीय सुविधाओं को और अच्छा किया जायेगा। जनसुविधा डेवलप करने के एवज में निवेशकों को विभाग 10, 20, 35 तथा 50 लाख या फिर 50 प्रतिशत सब्सिडी देगा। 160 सेंटर बनेंगे जिसमें अधिकतम 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी हो सकती है।