साल 2021 की जनगणना में ओबीसी को लेकर आंकड़े नहीं होंगे। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से अपील की थी की 2021 की जनगणना में ओबीसी की गिनती करवाई जाय।
सरकार ओबीसी गिनती करवाने के अपने वादे से पहले ही कदम पीछे खींच चुकी है, इससे राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के साथ ओबीसी की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों को भी करारा झटका लगा है। हालांकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार से लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इसकी मांग की है, हालांकि मौजूदा सरकार ने साफ साफ शब्दों में स्पष्ट किया है कि ओबीसी की जनगणना नहीं होगी।
जानकारी के लिए बताते चलें कि ओबीसी समूह के लोगों की गिनती की मांग लंबे समय से चली आ रही है। इस समय 2021 की जनगणना की तैयारियां चल रही है, अगर 2021 में जातियों की गिनती नहीं हुई तो इसका अगला मौका आज से 10 साल बाद 2031 में आएगा। तब भारत में जातियों के आंकड़े 100 साल पुराने हो चुके होंगे (आखरी जनगणना 1931 में हुई थी)।
जातिगत आंकड़ों का छिपाने का एकमात्र मकसद राजनैतिक ही हो सकता है। ओबीसी आरक्षण की नीति पर किसी ठोस फैसले के लिए इन आंकड़ों का होना या सामने लाना बेहद जरूरी है। जैसे ही लोगों को पता चलेगा कि ओबीसी की जनसंख्या इतनी है, तो अपने हित के लिए स्वर बुलंद करने लगेंगे और सरकार कटघरे में होगी। इसलिए कोई भी सरकार नहीं चाहती कि जनगणना में ओबीसी की गिनती की जाय। इसके अलावा लोगों द्वारा जातीय जनगणना को लेकर तरह तरह के राजनैतिक मकसद बताए जा रहे है।