बिहार में बिजली की बढ़ती डिमांड के मद्देनजर राजधानी पटना सहित राज्य के तमाम जिलों में गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध बिजली सप्लाई सुनिश्चित करने को बिजली ट्रांसमिशन व्यवस्था सुदृढ़ की जा रही है। योजना के अनुसार आगामी वित्तीय साल 2023-24 में प्रदेश का पीक डिमांड 7521 मेगावाट तक होने की उम्मीद है। इसके मद्देनजर होल्डिंग कंपनी उसकी पूर्ति हेतु जरूरी 13540 मेगावाट क्षमता से ज्यादा का ट्रांसमिशन नेटवर्क बना रही है।
कंपनी ने लगभग 1691 करोड़ रुपए खर्च कर पश्चिम चंपारण, बक्सर, भागलपुर, औरंगाबाद, गया और पटना में ट्रांसमिशन नेटवर्क का कार्य शुरू किया है। इनमें दाऊदनगर (औरंगाबाद), बगड़ा (पश्चिम चंपारण), बरारी (भागलपुर), भोरे (गया) और बाराचट्टी (गया) में 132 केवी क्षमता के पांच ग्रिड उपकेंद्रों बनाए जाने हैं, इनमें 50 एमवीए कैपिसिटी के दो-दो ट्रांसफॉर्मर लगेंगे। इसकी टोटल लागत 703.16 करोड़ रखी गयी है, इसके साथ बन रहे बक्सर थर्मल पावर प्लांट (660 गुणा 2) से विद्युत निकासी हेतु 817 करोड़ खर्च कर 400 केवी तथा 220 केवी के ट्रांसमिशन लाइन एवं उससे संबद्ध लाइन बे का निर्माण होना है।
बता दें कि पटना में मीठापुर स्थित कृषि अनुसंधान संस्थान कैंपस में 170.94 करोड़ खर्च कर नये 132 केवी जीआइएस ग्रिड का निर्माण जारी है। इस ग्रिड उपकेंद्र से करबिगहिया ग्रिड उपकेंद्र तक 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया जाएगा, जो अंडरग्राउंड होगा। भविष्य में इस इलाके के होने वाले विकास के मद्देनजर यह परियोजना काफी अहम है। वहीं, कंपनी कई पुराने ट्रांसमिशन लाइनों का जीर्णोद्धार कर रही है।