इस कथन को कोई झूठा साबित नही कर सकता कि पिछले दिनों आए म हामारी ने जहाँ तो एक ओर वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया तो वहीं, दूसरे तरफ पर इसका प्रभाव छात्रों की शिक्षा पर पड़ा है। भले ही इस दौरान ऑनलाइन क्लास को बढ़ावा मिला हो लेकिन एक सोचने योग्य पहलू यह भी है कि भारत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ विद्युत की व्यवस्था तक नही वहाँ ऑनलाइन क्लास के लिए आवश्यक मोबाइल अथवा लैपटॉप और नेटवर्क कनेक्शन के अभाव में ये क्लास कुछ बच्चों के लिए केवल एक सपना मात्र ही हैं।
लेकिन हाँ, कहा जाता है न कि एक कर्तव्यनिष्ठ शिक्षिक अपने बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है। ऐसा ही कुछ प्रयास मध्यप्रदेश के सागर जिले के एक सरकारी विद्यालय के शिक्षिक सीएच श्रीवास्तव(C.H. Shrivastava) ने भी किया है। जिन्होंने ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई को देश मे आये महामारी के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए अपने स्कूटर पर चलती-फिरती मोबाइल लाइब्रेरी (Mobile Library) और मिनी स्कूल(Mini- School) की पूर्ण व्यवस्था कर दी है।
सालभर बाद 1 अप्रैल से खुलने वाले थे एमपी के स्कूल
ऐसे तो, 1 साल से बंद विद्यालयों को इस साल अप्रैल में फिर से शुरू करने की योजना थी। लेकिन म हामारी के दूसरे चरण के कारण पुनः फैलाव होता देख विद्यालय को फिर से बंद करने का निर्णय ले लिया गया है। जिससे मध्यप्रदेश के सागर जिले (Sagar District in Madhya Pradesh) में स्थित गाँवो में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
लोहे के कबाड़ से बनाया गई है ये मोबाइल लाइब्रेरी
न्यूज मीडिया के साथ हुई बातचीत में श्रीवास्तव बताते हैं कि- “ऑनलाइन क्लास के लिए आवश्यक मोबाइल और नेटवर्क टावरों के अभाव में हमने इस लाइब्रेरी के निर्माण की योजना बनाई थी, लोहे के कचड़ों का नवनिर्माण करते हुए यह लाइब्रेरी बनाई गई है, जिसमें एक साइड ग्रीन बोर्ड तो दूसरी तरफ लगभग 600 किताब रखने की व्यवस्था की गई है, मैं गाँवों की गरीब बस्तियों में जाकर बच्चों को पढ़ा रहा हूँ, इस लाइब्रेरी में कहानी व गीतों की किताबों को भी रखा गया है, बकायदा बच्चों को ये किताबें दी जाती हैं, जो निश्चित समय के बाद बच्चे लौटा देते हैं”
अपनी मोबाइल लाइब्रेरी की मदद से जिले के हर गाँव में शिक्षा बांट रहे हैं श्रीवास्तव
‘गाँव के किसी भी बच्चे की पढ़ाई को यह म हामारी प्रभावित न करे’ मन में यही भाव लेकर शिक्षक सीएच श्रीवास्तव जिले के प्रत्येक गाँव में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। गाँव में जहां श्रीवास्तव को स्थान मिलता है वहीं वह अपने स्कूटर को रोककर पेड़ों की छाँव के नीचे बच्चों को एकत्र कर पढ़ाना शुरु कर देते हैं। उनका उद्देश्य है कि इस बीच किसी भी तरह से बच्चों का सेलेब्स बचा न रहे।
गाँवों के गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए चार स्थानीय चबूतरों का चयन भी किया गया है
साथ ही आपको पता हों कि सागर जिले में स्थित गाँवों में बच्चों की शिक्षा को शुरू करने के लिए शिक्षिक सीएच श्रीवास्तव ने खुद की आय से गाँवों में ही अलग-अलग स्थानों पर चार चबूतरों का चयन करके वहां ग्रीन बोर्ड लगाये हैं, जहाँ एक निश्चित समय पर कक्षाएँ संचालित की जाती हैं।
ग्रामवासियों को जागरुक कर रहे हैं सीएच श्रीवास्तव
सीएच श्रीवास्तव ने अपने स्कूटर पर न केवल एक चलती-फिरती पुस्तकालय की व्यवस्था कर रखी है बल्कि स्कूटर पर ही ऐसे कई पोस्टर भी लगा रखें हैं जिनसे ग्रामवासियों में आए म हामारी संबंधी जागरुकता का विस्तार हो सके तथा इसके बचाव के लिए ‘मास्क और दो गज की दूरी’ संबंधी जानकारी देते हैं ये पोस्टर। जिले के शिक्षा विभाग ने भी सीएच श्रीवास्तव की इस सोच की बेहद सराहना दी जा रही है।