एक दौर में बिहार का गौरव रहा बरौनी खाद फैक्ट्री अंततः 22 सालों के बाद पुनः शुरू हो गया। रविवार को प्रथम दिन यहां उत्पादित 56 टन नीम कोटेड यूरिया पहली दफा सेलिंग के लिए मार्केट में भेजा गया। पूरे विधि-विधान के साथ रविवार को पूजा के बाद प्रोडक्शन शुरू किया गया। बता दें कि जनवरी 1999 बरौनी खाद फैक्ट्री पर ताला लटक गया था। इसके शुरू होने से आसपास के लगभग 5 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल पाएगा।
8387 करोड़ रुपए खर्च कर बने यूरिया फैक्ट्री की शुरुआत 2018 में हुई थी। अतिवृष्टि और कोरोना के चलते तकरीबन 50 माह में प्रोडक्शन के लिए बने इस प्लांट से प्रति वर्ष 12 लाख 70 हजार मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का प्रोडक्शन होना है यानी कि रोजाना 3850 टन। इस यूरिया कारखाने को विश्वस्तरीय सुरक्षा और तकनीक के मद्देनजर बनाया गया है।
पूरे बिहार के साथ ही पश्चिम बंगाल, झारखंड और उड़ीसा सहित देश के अन्य पूर्वोत्तर प्रांतों को यहां से यूरिया की सप्लाई की जा सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में वन नेशन वन फ़र्टिलाइज़र के तहत इसकी शुरुआत की थी और 4 साल के बाद यहां से प्रोडक्शन होना शुरू हुआ है। टॉकीज में 400 स्थाई कर्मियों के अलावा 2-5 हजार के बीच लोग काम करेंगे। भारत में वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्कीम के तहत फिलहाल अपना यूरिया के नाम से यहां ही प्रोडक्शन हो रहा है।