नेपाल के अरुण कोसी पर बनने जा रहे पन बिजली प्लांट के ताजा समझौते से बिहार को तीन लाभ होंगे। इसे बिहार को न सिर्फ बिजली मिलेगी, किंतु कोसी का पानी भी कंट्रोल होकर आएगा। इसका फायदा यह भी होगा कि गाद में कमी आएगी और प्रदेश के दर्जनभर जिलों में बाढ़ की स्थिति कम होगी। इस हिसाब से बिहार के लिए अभिशाप बना कोसी नदी वरदान साबित होगा।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश और भारत सरकार का संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन लिमिटेड ने अरुण कोसी पर 2059 मेगावाट की तीन बिजली प्रोजेक्ट के निर्माण का समझौता नेपाल से किया है। इसमें टोटल 2100 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन होगी और इस पर 4900 करोड़ की लागत आएगी। पहले फिर में 900 मेगावाट की प्लांट पर काम जारी है जो अगले वर्ष पूरा हो जाएगा। दूसरे खेत में 669 मेगावाट पनबिजली प्लांट बनेगी जिसके डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर नेपाल सरकार हरी झंडी दे दी है।
जबकि तीसरे फेज में 490 मेगा वाट का प्लांट बनेगा, जिसका समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में सोमवार को हुआ है। बता दें कि 5 से 6 वर्षों में सभी पन बिजली प्लांट चालू हो जाएगी। भारत को 70 से अधिक बिजली सप्लाई होगी। बिहार का सीतामढ़ी ग्रीड से भी बिजली की सप्लाई होगी।
मालूम हो कि बरसात के दिनों में कोसी पूरे रौद्र रूप में रहती है। पूरा क्षेत्र जलमग्न रहता है। उत्तर राज्य के दर्जन जिले इसकी चपेट में रहते हैं और हर वर्ष करोड़ों रुपए का क्षति और जानमाल का नुकसान होता है। अरुण कोसी का पानी कंट्रोल होकर छोड़ने से नदी की भयावता कम होगी और समय के मुताबिक इसके पानी का इस्तेमाल दूसरे कामों में भी हो सकेगा।