बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुनः शिक्षकों को विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई पर फोकस करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के पैसे शिक्षाकर्मियों को निकाल बाहर करने का आदेश दिया है जो विद्यालय में बच्चों को नहीं पढ़ा रहे हैं। साथ ही शिक्षकों को दूरभाष पर अपनी व्यवस्था कम कर क्लास रूम में बच्चों को पढ़ाई पर फोकस करने की सलाह दी है। देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में शिक्षा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि शिक्षा दिवस के मौके पर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। सबसे पहले 2007 में इसकी शुरुआत हुई। भारत सरकार से आग्रह किया कि प्रदेश में मौलाना अबुल कलाम आजाद के याद में शिक्षा दिवस मनाया जा रहा है और इसे पूरे भारतवर्ष मनाया जाना चाहिए, जिसके बाद 11 नवंबर को पूरे देश में शिक्षा दिवस मनाया जाने लगा।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश में शीघ्र शिक्षकों की भर्ती की जाए। सीएम ने शिक्षकों और प्रोफेसर से अपील करते हुए कहा कि हम आपका सैलरी भी बढ़ाए है, मगर आप बच्चों को पढ़ाने में तकनीक का उपयोग कीजिए। जब हम भारत सरकार में मंत्री थे तब दूरभाष रखते थे। देखे सब मोबाइल में ही फंसा रहता है, तो हम मोबाइल रखना ही छोड़ दिए। काम नहीं करने और विद्यालय में बच्चों का नहीं पढ़ाने वाले शिक्षकों पर सख्त होते हुए सीएम ने कहा कि जो शिक्षक विद्यालय नहीं जाते है। उनको निकालिए जो, आते हैं उनका तनख्वाह बढ़ाइए।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने भारत सरकार पर निशाना साधते हुए नई तकनीक का उपयोग करने का आदेश देते हुए कहा कि बिहार में जिस तरह मेरे कोशिशों से आईटीआई खुला और एनआईटी का जोर्णीदार हुआ बड़े-बड़े संस्था बने, इन सब की जानकारी नई टेक्नोलॉजी में दीजिए जिससे लोगों को मालूम चल सके कि इन सब संस्थानों का निर्माण किस तरह हुआ है।