Moti Ki Kheti: सरकार के द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश जारी है। इसके तहत किसानों को कई योजनाओं के जरिए लाभ पहुंचाया जा रहा है। राजस्थान सरकार के द्वारा मोती की खेती करने पर किसानों को 12.50 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। ये अनुदान टोटल लागत का 50 फ़ीसदी है। यानी मोती की खेती पर लगभग 25 लाख रुपए खर्च होते हैं, जिसमें 12.50 लाख रुपए की अनुदान सरकार देती है। जिन किसानों के पास तालाब हैं वे इसमें मोती की खेती कर मोटी कमाई कर सकते हैं।
किसानों की होगी अच्छी कमाई।
किसानों को मोती की खेती (Moti Ki Kheti) के लिए सरकार प्रोत्साहित कर रही है। अगर किसान परंपरागत खेती के साथ व्यवसायिक रूप से मोती की खेती करते हैं तो उन्हें दोहरा लाभ हो सकता है। शुरुआत में मोती की खेती में किसानों काफी मोटा खर्चा आता है लेकिन पहली बार के लाभ में ही किसानों का सारा लागत निकल जाता है। उसके बाद किसानों को तगड़ी कमाई होती है।
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सब्सिडी के लिए जरूरी दस्तावेज।
आपको बता दें केंद्र सरकार के अलावा कई राज्य सरकारें भी मोती की खेती (Moti Ki Kheti) को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देती हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को जिन कागजातों की जरूरत पड़ेगी उसमें आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और पासपोर्ट साइज फोटो।
कृत्रिम मोती के उत्पादन की प्रक्रिया।
मोती की खेती (Moti Ki Kheti) के लिए आपके पास तालाब का होना जरूरी है। तालाब में प्राकृतिक माहौल मिलता है जो मोती की खेती के लिए अनुकूल है। तालाब में पानी की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए जिसका पीएच मान 7 के आसपास रखना होगा। मोती की खेती की प्रक्रिया में सबसे पहले सीप को सबसे पहले 2 से 3 दिन के लिए खुले पानी में डाला जाता है। ताकि इसके ऊपर का कवच और उसकी मांसपेशियां नरम रहे। अधिक समय के लिए पानी से बाहर रखा गया तो यह खराब भी हो सकता है। मांसपेशियों में नरमी आने के बाद उसकी सतह पर दो से 3 मिलीमीटर छेद किया जाता है।
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मोती की खेती के लिए ट्रेंनिंग।
मोती की खेती (Moti Ki Kheti) से पहले प्रशिक्षण और रखरखाव का ज्ञान होना काफी महत्वपूर्ण है। जिसके लिए इंडियन काउंसिल फ़ॉर एग्रीकल्चर रिसर्च के तहत एक विंग CIFA यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर बनाया गया है। यहां एक व्यक्ति निशुल्क 15 दिनों की ट्रेनिंग ले सकता है जिसमें उसे मोती की खेती और इसके रखरखाव की ट्रेनिंग दी जाएगी। उड़ीसा के अलावा रीजनल सेंटर भटिंडा, बेंगलुरू, रहारा और विजयवाड़ा में भी है जहां ट्रेनिंग ली जा सकती है भी ट्रेनिंग ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिएवेबसाइट cifa.nic.in पर विजिट कर संपर्क करें।