तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, फरवरी 2021 तक देश में लगभग 28 करोड़ घरेलू एलपीजी ग्राहक हैं, जिसे मार्च 2022 तक 30 करोड़ पहुंचने की उम्मीद है। इंडियन ऑयल का दावा है कि वे अपने बॉटलिंग प्लांटों के लिए 50 फीसदी अधिक रसोई गैस का आयात करेगी, जिससे LPG की आपूर्ति में कोई बाधा न हो।
सरकार द्वारा वायु प्रदूषण के रोकथाम के लिए कोयला व लकड़ी की जगह LPG को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा हैं। लेकिन आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, आज बाजार में LPG कूकिंग स्टोव की क्षमता 60-68% फीसदी है जिससे कार्बन मोनो ऑक्साइड (220–550 पीपीएम), नाइट्रोजन ऑक्साइड (5–25 पीपीएम) जैसे खतरनाक गैसों का उत्सर्जन अधिक होता है। इन्हीं जरूरतों को देखते हुए IIT गुवाहाटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर, पी मुथुकुमार की अगुवाई में एक रिसर्च टीम ने पोरस रेडियंट बर्नर (PRBs) से लैस ऊर्जा-दक्ष और पर्यावरण के अनुकूल कुकिंग स्टोव का निर्माण किया है, जिससे एलपीजी, बायोगैस या किरोसीन जैसे ईंधनों की 25 से 50 फीसदी बचत हो सकती है।
टू लेयर पीआरबी के साथ यह कूकिंग स्टोव 80 फीसदी अधिक ऊर्जा दक्ष है। इसमें कार्बन मोनो ऑक्साइड (39-64 पीपीएम) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (1-2.5 पीपीएम) का उत्सर्जन पारंपरिक स्टोव से काफी कम है। इस प्रोजेक्ट के लिए IIT गुवाहाटी की टीम ने बेंगलुरु की ‘अग्निसुमुख एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड’ के साथ भागीदारी की है।
आईआईटी गुवाहाटी के मुताबिक, देश में इस कूकिंग स्टोव के इस्तेमाल से प्रतिदिन करीब 13 लाख सिलेंडर LPG की बचत होगी साथ ही, प्रोफेसर मुथुकुमार कहते हैं, हमने Porous Medium Combustion पर 2006 में अपना रिसर्च शुरू किया था। 2 वर्षो के बाद हमने बाहरी वायु आपूर्ति के साथ पीआरबी का पहला प्रोटोटाइप बनाया। फिर, 2018 में हमने घरेलू और व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए इसका पहला मॉडल तैयार किया। इस नए मॉडल में LPG, बायोगैस, PNG जैसे गैसीय ईंधनों के साथ केरोसिन, मेथनॉल और इथेनॉल का भी उपयोग किया जा सता है।
वहीं, टू लेयर पीआरबी मॉडल आंशिक रूप से सब्मर्ज्ड कम्बशन मोड में काम करता है, जिसमें बर्नर की सतह से खाना बनाने वाले बर्तन में हीट ट्रांसफर का मुख्य तरीका रेडिएशन है, जो धूप की गति से यात्रा करती है। उसके ऊपर सिलिकॉन कार्बाइड फोम, कम्बशन जोन के रूप में। मुथुकुमार कहते हैं, उच्च आयतन, तापीय चालकता और सिलिकॉन कार्बाइड के उत्सर्जन के कारण कम्बशन हीट का कुछ हिस्सा प्रीहीटिंग जोन में वापस होता है और इससे एयर-फ्यूल मिक्सर को उर्जा मिलती है। जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है। प्रोफेसर मुथुकुमार का दावा है कि है कि इसमें घरेलू और व्यावसायिक स्तरों पर खाना बनाने के दौरान पारंपरिक स्टोव की तुलना में क्रमशः 30 और 50 फीसदी ईंधन और 30 फीसदी समय की बचत होती है।