यूपीएससी वो एग्जाम जिसे क्रेक करने का सपना हर साल लाखों अभ्यर्थी देखते हैं। सालों की मेहनत और लंबे इंतजार के बाद इस परीक्षा में अभ्यर्थियों को सफलता मिलती है। युवाओं में आईएएस बनने का गजब का जुनून होता है। कई ऐसे भी युवा होते हैं जो अच्छी-खासी नौकरी और दूसरे बैकग्राउंड से पढ़ने के बाबजूद भी यूपीएससी की तैयारी में जुट जाते हैं। ऐसी ही एक कहानी पहले प्रयास में आईएएस बने अनुनय झा की। आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद यूपीएससी में सफलता पाने वाले अनुनय की कहानी अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा हो सकती है।
आईएएस अनुनय झा झारखंड के देवघर से आते हैं। पिता नित्यानंद मिश्रा भी सेवल सेवक रहे हैं। मां अल्का झा भारतीय डाक में बोर्ड की मेंबर हैं। अनुनय ने शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के चाणक्यपुरी संस्कृत स्कूल से की है। 12वीं के बाद आईआईटी का प्रवेश परीक्षा दिया फिर साल 2012 में आईआईटी रुड़की में दाखिला हुआ। इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ समय तक विश्व बैंक एक प्रोजेक्ट के लिए काम कर रही टीम का हिस्सा रहे। अनुनय बचपन से ही समाज और लोगों के लिए सेवा करना चाहते थे लिहाजा यूपीएससी की तैयारी में भिड़ गए। यूपीएससी की परीक्षा दी और साल 2013 के घोषित परिणाम में अनुनय ने बाजी मारते हुए पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। 145वीं रैंक आई और अनुनय को इंडियन रिवेन्यू सर्विस का पद मिला।
अनुनय आईएएस बनना चाहते थे लिहाजा आईआरएस पद मिलने के बाद भी यूपीएससी की तैयारी नहीं छोड़ी और साल 2014 में दूसरे प्रयास में 57वी रैंक हासिल की। इसी तरह आईएएस अधिकारी बनने का सपना साकार किया। मीडिया कंपनी जनसत्ता से बातचीत में अनुनय बताते हैं कि विश्व बैंक के प्रोजेक्ट के लिए काम करने के दौरान यह मुझे महसूस हुआ कि आईएएस बनने के बाद ही किसी योजना को जमीन पर लागू किया जा सकता है। सबसे ज्यादा पावर आईएस के पास होता है इसलिए मैंने आईएस बनने का रास्ता चुना। अनुनय फिलहाल मथुरा-वृंदावन नगर निगम में नगर आयुक्त का कार्यभार संभाल रहे हैं।