आपको पता हो कि ‘गंगा विलास’ क्रूज वाराणसी पहुंच चुका है। 13 जनवरी 2022 को PM मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाएंगे। यह बनारस से चलकर ढाका से होते हुए डिब्रूगढ़ तक जाएगा। इसमें 18 कमरे हैं। जिसमें 36 लोग सफर कर सकते हैं। यात्रियों के साथ 36 क्रू मेंबर भी सवार होंगे। इस क्रूज में फिल्टरेशन प्लांट है जिससे गंगा के पानी को ही फिल्टर करके नहाने और दूसरे काम में इस्तेमाल होगा। हालांकि इस क्रूज़ का अपना एसटीपी प्लांट है जिससे गंगा में प्रदूषण नहीं होगा। बता दें कि इस जहाज में 40 हजार लीटर का फ्यूल टैंक है। यात्रियों की सुविधा को मद्देनजर करीब 60 हजार लीटर के पानी का टंकी है,
अगर क्रूज खारे पानी में भी जाता है तो 2 से 3 दिन तक पानी की कमी नहीं होगी। इस क्रूज़ में स्पा, जिम, लाइब्रेरी और सन बाथ के लिये रूफटॉप की सुविधा है। इस क्रूज का किराया एक रात के लिए 25000 से 50000 के बीच होगी। पूरी यात्रा 3200 किमी की है गंगा विलास क्रूज़ बनारस से पटना, कलकत्ता, ढाका से गुवाहाटी काजीरंगा होते हुए डिब्रूगढ़ तक जाएगा। जो कुल 52 दिन की यात्रा होगी। फिलहाल इसमें 31 यात्री आ रहे हैं। जिन्हें स्विट्जरलैंड की ट्रैवेल कंपनी ने ऑर्गेनाइज किया है। बनारस से जाने वाला यह क्रूज़ नदी परिवहन व पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
क्योंकि यह जिन क्षेत्रों से गुजरेगा उन छोटे-छोटे जिलों में भी इसका स्टॉपेज होगा। पीएमओ ने कहा है कि यह पहल देश की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने व उसकी विविधता के खूबसूरत पहलुओं की खोज करने का एक अवसर है। इस क्रूजर में 3 डेक और 18 सुइट्स हैं, जिसमें 36 पर्यटकों को ले जाने की क्षमता है, यह सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। पीएमओ के अनुसार पहली यात्रा में स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटक शामिल हैं, जो पूरी यात्रा के दौरान इसमें रहेंगे। बता दें कि इस क्रूज को इस तरह से बनाया गया है ताकि दुनिया के सामने देश की सर्वश्रेष्ठ चीजें प्रदर्शित हों।
क्रूज के जरिये विश्व धरोहर स्थलों, नदी घाटों, राष्ट्रीय उद्यानों, और बिहार के पटना, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, झारखंड के साहिबगंज, बांग्लादेश के ढाका व असम के गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों समेत 50 पर्यटन स्थलों की यात्रा की जा सकेगी।इसे वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा पीपीपी मोड में डेवलप किया गया है। पर्यटक आसपास स्थित अलग-अलग घाटों से नाव द्वारा ‘टेंट सिटी’ पहुंचेंगे। ‘टेंट सिटी’ प्रतिवर्ष अक्टूबर-जून तक चालू रहेगी। वहीं बारिश के समय नदी में जल अधिक रहने के कारण 3 महीने के लिए बंद रहेगी।