जैसा कि कहा जाता है सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं, पर आज के समय मे हमारे देश में चिकित्सा का फीस इतना अधिक है कि यहां के निजी हॉस्पिटलों में गरीबों का इलाज कराना असंभव हो गया है। ऐसे मे एक महिला डॉक्टर ने मानवता की सेवा करने का मिसाल पेश किया है। दरअसल, आन्ध्रप्रदेश के कडप्पा शहर के निवासी डॉक्टर नूरी प्रवीण मात्र 10 रूपये में इलाज करती हैं। वह बहुत ही साधारण परिवार से हैं। उनकी मां गृहणी और पिता टेलीविजन मैकेनिक हैं। उनकी परवरिश विजयवाड़ा में हुई है, वह वहीं से उर्दू माध्यम से सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है।
फिर उन्होंने मेडिकल के प्रवेश परीक्षा पास कर 2011 में कडप्पा के ही फातिमा इन्स्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में एडमिशन लिया। पढ़ाई के दौरान ही नूरी ने NGO में कार्य करना प्रारंभ की। वहां वह बच्चों को कपड़े, भोजन व किताबें आदि बांटती थी। जब उनके MBBS की पढ़ाई पूरी हो गई तो उन्होंने फेलोशिप के लिए क्रिटिकल केयर मेडिसिन में दाखिला कराया। उसके बाद कई निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दी और पिछ्ले वर्ष अपनी क्लिनिक खोली। डॉ नूरी ने अपनी क्लिनिक की मात्र 3 बेड से शुरू की थी किन्तु अभी बैड की संख्या 25 हो गई है और 10 कर्मचारी भी कार्यरत हैं।
बहुत सस्ते में अच्छी तरह से सेवा भाव देखकर लोगों ने उन्हें “कडप्पा की मदर टेरेसा” भी नाम दे दिया है। फीस कम होने के कारण लोग समझते रहे नकली डॉक्टर अभी अनुभवी डॉक्टर की फीस काफी अधिक है। ऐसे में डॉ नूरी का 10 रुपए की फीस रखने पर कई लोग उन्हें नकली डॉक्टर समझने लगे। किन्तु नूरी के पेशेंट्स को स्वस्थ होते देख लोगों का विश्वास उनके ऊपर बढ़ने लगा। इलाज हेतु मात्र 10 रुपये फीस के बारें में वह बताती है कि, उनका क्लिनिक जहां है वहां आधिकांशत: दिहाड़ी मजदूर बसे है और 10 रूपये कोई भी व्यक्ति आसानी से दे सकेगा। इसी सोच के साथ उन्होंने 10 रुपए फीस रखीं।
उनमें से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक डॉक्टर व नर्स मौजुद हैं। डॉ नूरी कहती हैं कि, वह पूरे दिन हॉस्पिटल में ही रहती हैं। डॉ नूरी कहती है, उनकी क्लिनिक में एक संलग्न फॉर्मेसी की भी सुविधा है जो अतिरिक्त आय का जरिया है। अगर कभी किसी को डॉक्टर से सलाह लेनी होती है तो नूरी विशेषज्ञ को क्लिनिक लाकर पेशेंट को मात्र 10 रुपये में सलाह देती हैं। उन्होंने जब अपनी क्लिनिक शुरु की थी तो 10 रुपये में चिकित्सा को बात काफी तेजी से फैल गई। और क्लिनिक में मरीजों की भीड़ इकट्ठा होने लगी। उस वक्त मरीजो की संख्या अधिक होने से उन्हें बहुत ही मुश्किल से भोजन या जूस पीने का वक्त मिलता था। वह बताती है कि सुबह 8 बजे क्लिनिक खोलती थीं जो दिन भर मरीजों से भरा रहता था।
डॉ नूरी बताती हैं कि, उन्होंने अपने पैरंट्स को बिना बताए अपनी क्लिनिक की शुरू की थीं। किन्तु जब उनके पैरंट्स को उनके इस नेक काम के बारें में पता चला तो वे बहुत खुश हुए और तारीफ भी की। वह मानती हैं कि दूसरों की मदद करना हम सबका कर्तव्य है और इसे हर किसी को पूरा करना चाहिए। खर्च के बारें में नूरी बताती हैं कि, हम कैसे दिखते हैं या क्या पहनते हैं यह मायने नहीं रखता है बल्कि हम दूसरों के लिए क्या करते ये मायने रखता हैं। मैं दूसरों की मदद करूंगी तो इश्वर मेरी मदद करेगा। डॉ नूरी को युवाओं को प्रेरित करने हेतु कॉलेजों में भी बुलाया जाता है। अगर सभी डॉक्टर्स उनके तरह सोचे तो किसी भी मरीज की मौत इलाज की कमी के कारण नहीं होगा।