बिहार की राजधानी पटना का नाम लेते ही यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध बिहार म्यूजियम की याद आ जाती है। हालांकि वैसे तो यहाँ काफी पहले से पटना संग्रहालय था। लेकिन फिर भी पटना में एक अत्याधुनिक संग्रहालय बनाया गया। बता दें कि बिहार संग्रहालय अपने कलाकृतियों के संग्रह हेतु देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन अब यहां पर संग्रहित पुरावशेषों एवं कलाकृतियों के देख-रेख तथा रख-रखाव के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कंजर्वेशन लैब की जरूरत महसूस की जा रही थी।
जिससे संग्रहालय में रखे कलाकृतियों का समय समय पर आवश्यकता के अनुसार उपचार हो सके। आपको बताते चलें कि इसकव लेकर बिहार संग्रहालय के महानिदेशक के निर्देश पर देश के वैसे मौजूद सभी संस्थानों से इस सम्बंध में सम्पर्क स्थापित किया गया जिनके पास कंजर्वेशन लैब हो। इसीलिए आर्ट कंजर्वेशन के प्रमुख सतीश पाण्डे को इस संबंध में जरूरी सुझाव के लिए पूर्व में बिहार संग्रहालय में आमंत्रित किया गया था। हालांकि उनके द्वारा संग्रह को मद्देनजर रेखते हुए कंजर्वेशन लैब की स्थापना के लिए सुझाव दिया गया था।
इसके साथ ही कंजर्वेशन की स्थापना पर भी बातचीत किया गया था। इनके द्वारा दिए गए सुझाव के आलोक में बिहार संग्रहालय पटना में कंजर्वेशन लैब की स्थापना पर बिहार संग्रहालय, पटना के पदाधिकारियों के बीच सहमति हुई है। कंजर्वेशन लैब की स्थापना के लिए अलग-अलग बिन्दुओं पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान महानिदेशक बिहार संग्रहालय द्वारा संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु और रखे गए कलाकृतियों के सम्बंध में विस्तार पूर्वक चर्चा किया गया।
विचार-विमर्श के दौरान सहमति बनी। साथ ही कंजर्वेशन लैब के स्थापना के लिए बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह एवं भारतीय म्यूजियम संस्थान भारत सरकार के संयुक्त सचिव लिली पांडे के बीच एकरारनामा हुआ। बिहार संग्रहालय, पटना एवं भारत सरकार के बीच सहभागिता के तहत अलग-अलग शैक्षणीक गतिविधियों के आयोजन कराने पर सहमति बनी। साथ ही साथ, इन विशिष्ट अतिथियों को बिहार संग्रहालय, पटना के दीर्घाओं का भी भ्रमण कराया गया।