बिहार में ऑनलाइन दाखिल खारिज के नियम में चेंजिंग होने जा रहा है। अब भूमि के दाखिल खारिज की प्रोसेस और पारदर्शी होगी। अभी तक ऑनलाइन दाखिल खारिज के मामलों में प्रखंड कर्मियों की ही मनमानी चलती थी। मगर नई व्यवस्था होने से मनमानी रुक जाएगी। अब तक ऑनलाइन दाखिल-खारिज ‘पिक एंड चूज’ नियम से होता था। जिसमे प्रखंड कर्मियों की काफी मनमानी चलती थी। इसी मनमानी को रोकने हेतु शीघ्र फीफो को लागू किया जाएगा।
पिक एंड चूज का अर्थ है अपने मन से किसी का सलेक्शन। इससे दाखिल-खारिज के मिले आवेदनों में से अंचल कर्मी अपने मनमाफिक किसी के आवेदन के आधार पर म्युटेशन करा सकते हैं। इससे आम जनों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। कई महीने किसी की नंबर ही नहीं आती थी। लोगों को यह मालूम ही नहीं चलता था की उनका नंबर कब आएगा।
फीफो का अर्थ फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट। मतलब पहले आओ पहले पाओ के आधार पर। यह नियम लागू करने के पश्चात म्युटेशन के जो अप्लीकेशन पहले आएंगे उसका निष्पादन पहले करना अंचल कर्मियों के लिए जरूरी होगा। इससे अंचल अधिकारी, डाटा इंट्री ऑपरेटर और राजस्व कर्मचारी जैसे अंचल कर्मी म्युटेशन के मामलों में पीक एंड सलेक्शन नहीं कर पाएंगे।
नए व्यवस्था फीफो को लागू करने के लिए पूर्व ट्रायल हेतु कुछ जिलों के कुछ प्रखंडों का सलेक्शन किया गया है। इनमें हाजीपुर, भागलपुर, समस्तीपुर, सीवान और नवादा के कुछ अंचल का चयन हुआ है। इस अंचलों से मिले इनपुट के तहत इसे पूरे बिहार के तमाम जिलों में इसे लागू किया जाएगा। पूरे राज्य के 534 अंचलों में पहले तकरीबन 35 से 40 प्रखंडों में यह लागू होगा।
राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मामले के मंत्री आलोक कुमार मेहता ने वरिय अफसरों के साथ मंथन किया। काफी मंथन के बाद मंत्री ने यह निर्णय लिया। मंत्री ने अधिकारियों को कहा है कि किसी वजह से किसी का आवेदन और स्वीकृत होने पर स्वीकृति का वजह विस्तार से और लिखित तौर पर उसे आदमी को बताया जाए।