सब कुछ ठीक रहा तो नए साल के शुरुआत होते ही जमुई जिले के झाझा प्रखंड के नागी राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिलेगा। पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने बिहार सरकार के सहयोग से केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को इस संदर्भ में प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेज दिया है। जिला वन पदाधिकारी ने कहा कि शीघ ही इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के द्वारा संयुक्त रूप से एक संधि पत्र पर दस्तखत किया जाएगा।
यह दर्जा मिलने के पश्चात यहां कोई तरह की सुविधाओं का विकास होगा और इसके बाद विभिन्न देशों के द्वारा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के जरिए जिला को पक्षियों की सुरक्षा, संरक्षण, विकास और देखभाल हेतु कई तरह का फंड मुहैया कराया जाएगा। बहरहाल इसमें मंगोलिया, साइबेरिया, आस्ट्रेलिया, चीन, रूस, यूक्रेन समेत विभिन्न मुल्कों से आने वाले जाडन लीफबर्ड, ह्वाइट कैप रेडस्टार्ट, ब्लैक हेडेड मुनिया, यूरेशियन थिकनी, ब्लैक हेडेड गुज, सेंड लार्क, पेट्रोनिया, कापन स्टोन चैट, गूसेंडर, चेस्टनट सोल्डर सहित 230 तरह की पक्षियों के वजह से पूरे देश में ख्याति हुआ है।
केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पक्षी एक्सपर्ट और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की टीम अभ्यारण क्षेत्र का दौरा कर चुकी है। जिला वन पदाधिकारी ने कहा है कि पक्षी एक्स फोटो और नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की रिपोर्ट के मुताबिक यहां का माहौल प्रवासी पक्षियों के लिए बेहद ही अनुकूल है। मनुष्यों और प्रवासी पक्षियों के बीच काफी बेहतर तालमेल है। जिसके वजह से पक्षी यहां पर सुरक्षित ढंग से अपना वंशवृद्धि करते हैं। यहां अपनी पूरी आबादी का ब्लैक हेडेड गूज अकेले तीन प्रतिशत पाया जाता है। हर साल भारी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। इस जगह पर व्याप्त यह तमाम खूबियां पूरे देश के पक्षी अभ्यारण से भिन्न है, जो अंतरराष्ट्रीय दर्जा के लिए हर तरह से परफेक्ट है।
जमुई जिले के जिला वन पदाधिकारी पीयूष कुमार बनावल ने बताया कि नाली अभ्यारण कौन राष्ट्रीय दर्जा मिलने की तमाम तैयारियां अंतिम दौर में है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को के गाइडलाइंस में यहां कई तरह की सुविधाओं का आधुनिक ढंग से विकास होगा। जो पर्यटन को बढ़ावा देने एवं देश-विदेश के पर्यटकों को लुभाने की दृष्टि से बेहतर होगा।