Bihar Land Partition Rule : बिहार में वर्षों से एक कहावत है कि “जमीन और जाल के बीच बहुत उलझाव है।”बुजुर्गों का कहना है कि उलझन शुरू से ही बड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस Bihar Land Partition Rule के मुद्दे को हल किया है, जिसमें घर के बंटवारे में बेटियों को हिस्सा देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका कारण हमारे देश की संस्कृति ही संयुक्त परिवार है। यहां कई पीढ़ियों तक बड़े परिवार एक साथ रहते हैं।
हालाँकि, यह अब समय के साथ क्रमशः बदल रहा है। बड़े संयुक्त परिवारों के स्थान पर छोटे-छोटे एकल परिवार ही दिखाई देते हैं। ऐसे में अक्सर संपत्ति विवाद होता है। विशेष रूप से परिवार की बेटी का मामला गंभीर है।
यदि बेटियों का नाम नहीं है, तो Bihar Land Partition Rule के मुताबिक रिजेक्ट होगा बंसावली।
चेरिया बरियारपुर प्रखंड के विक्रमपुर पंचायत के मुखिया रमेश सिंह ने बताया कि वे वंशावली पर हस्ताक्षर करते समय यह ध्यान रखते हैं कि परिवार में बेटी है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अब इसकी जांच की जा रही है। फिर इसे मान्य करने के लिए वंशावली पर हस्ताक्षर और मुहर लगाई जाती है।
ये भी पढ़े : Bihar Weather, अगले हफ्ते से पुरे बिहार में बारिश के आसार, जानें।
गौरतलब है कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटियों के साथ-साथ बेटों को भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है। कानून में संशोधन से पहले, परिवार के केवल पुरुषों को ही उत्तराधिकारी का दर्जा दिया जाता था।
Bihar Land Partition Rule में अब घर की बेटियों के आपसी समझौते से बनेगी बात
बेगूसराय रजिस्ट्री कार्यालय में कातिब श्रवण साह पिछले चौबीस वर्षों से जमीन निबंधन की देखभाल कर रहे हैं। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की नई दिशा-निर्देशों के अनुसार, भूमि वितरण में पहले वंशावली की जांच की जानी चाहिए। यदि घर की बेटी का नाम वंशावली में नहीं है, तो इस वंशावली को भूमि पर कोई काम नहीं करना चाहिए। सहमति पत्र बनाना भी आवश्यक है यदि परिवार की बेटी जमीन में कोई हिस्सा नहीं लेना चाहती है और अपने भाई को देना चाहती है।
मकान मालिक कपिलदेव सिंह ने बताया यहां वर्षों से एक परंपरा चली आ रही है। इसके बाद बेटी को दहेज में उसका हिस्सा मिलता है। यही कारण है कि बेटियों को जमीन में हिस्सा नहीं दिया जाता है और वे अक्सर इसे मान लेती हैं। अब जमीन का बंटवारा करते समय बेटी का नाम वंशावली में लिखना अनिवार्य है।