छात्रों को सरकारी नौकरी के प्रति दीवानगी इस कदर होती है, कि अपने जीवन के कई वर्ष गुजार इसकी तैयारी करते हैं। छात्रों के लिए सरकारी नौकरी मिलना सपने साकार करने जैसा होता है। कहानी एक ऐसे आईपीएस अफसर की जिनकी एक दो बार नहीं बारह बार सरकारी नौकरी लगी बाबजूद इसके इन्होंने कभी पढ़ाई करना नहीं छोड़ा। फिर दूसरे ही प्रयास में यूपीएससी क्रेक कर बन गए आईपीएस अधिकारी। इनकी कहानी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा हो सकती है।
IPS प्रेमसुख डेलू राजस्थान के बीकानेर से आते हैं। किसान पृष्ठभूमि से आने वाले प्रेमसुख ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। आर्थिक हालात ठीक नहीं थी। पिता ऊंटगाड़ी चलाते थे। परिवार को गरीबी से निकालने के मकसद से उन्होंने पढ़ाई को अपना हथियार बना लिया। शुरुआती पढ़ाई गांव में करने के बाद प्रेमसुख ने बीकानेर से आगे की पढ़ाई पूरी की। इतिहास विषय से मास्टर डिग्री हासिल की और कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। पीएचडी के लिए इतिहास विषय से ही यूजीसी-नेट की परीक्षा पास की।
प्रेमसुख के बड़े भाई राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल है। उन्होंने ही सरकारी नौकरी के लिए प्रेरित किया। साल 2010 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पटवारी की नौकरी की। फिर राजस्थान ग्राम सेवक परीक्षा में दूसरा रैंक हासिल किया।
असिस्टेंट जेलर की परीक्षा में टॉप किया। इसके बाद सब इंस्पेक्टर और कई प्रतियोगी परीक्षा पास की।
फिर प्रेमसुख यहीं नहीं रुके। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में तहसीलदार के पद पर रहते हुए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। नौकरी के बाद बचे समय में प्रेमसुख ने यूपीएससी की तैयारी में समय दिया। यूपीएससी की परीक्षा दी। और दूसरे ही प्रयास में साल 2015 में देश भर में 170वीं रैंक लाकर आईएएस अधिकारी बन गए। प्रेमसुख की यह कहानी सफलता और अपने लक्ष्य को किसी भी परिस्थिति में पूरा करने को बयां करता है।