सफलता किसी वक्त और परिचय की मोहताज नहीं होती। इसे चरितार्थ किया है, निहारिका भार्गव ने जिन्होंने दिल्ली में पढ़ाई पूरी करने के बाद लंदन में मार्केटिंग की डिग्री हासिल की। फिर स्वदेश लेटकर पिता के पैशन को अपने बिजनस में तब्दील कर दिया। देखते ही देखते बिजनस करोड़ों के टर्नओवर को पार कर गया। निहारिका की कामयाबी की कहानी हर किसी को पढ़नी चाहिए।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद निहारिका साल 2015 में मार्केटिंग स्ट्रेटजी एंड इन्नोवेशन में मास्टर की डिग्री हासिल करने के लिए लंदन चली गई। स्वदेश आने के बाद निहारिका ने गुड़गांव के ही बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करने लगी। कंपनी काफी अच्छी थी, लिहाजा अच्छी तनख्वाह के साथ हर तरह की सुख सुविधाएं भी मिलती थी। लेकिन निहारिका ने 1 साल में उसे ठुकरा कर पिताजी के आचार के बिजनेस को खड़ा करने की सोची।
निहारिका के पिता अचार बनाने के शौकीन थे, अचार तैयार अपने परिचितों को भी देते थे। अचार इतना स्वादिष्ट रहता था, कि लोग इसकी डिमांड करते रहते थे। मार्केटिंग की पढ़ाई और जॉब का अनुभव निहारिका को इसे बिजनेस के रूप में तब्दील करने का तरकीब दे दिया। आचार के बाजार को समझने और उससे जुड़ी तमाम चीजों पर काफी तफ्तीश के बाद निहारिका ने घर में निर्मित, शुद्ध आचार की मांग को लोगों में काफी पसंद किया जाता है। लिहाजा निहारिका ने भी शुद्धता का पूरा ध्यान रखते हुए, स्वादिष्ट व घर में निर्मित आचार को लोगों तक पहुंचाने की ठान ली।
शुरुआत में थोड़ी हिचक–किचक बाद निहारिका आचार का स्टॉल लगाने लगी। लोगों का भी काफी बढ़िया रिस्पॉन्स रहा, जिसके बाद स्थानीय बाजारों में भी इसकी मांग होने लगी। साल 2017 में लिटिल फॉर्म नाम से गुडगांव में कंपनी खुला। कंपनी अपने उत्पाद को ऑनलाइन के माध्यम से बेचने लगी। 50 से भी ज्यादा अचार कंपनी अचार कंपनी में निर्मित होने लगी। अब यह कारोबार करोड़ों में हो रहा है। लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाली निहारिका की कामयाबी पर उनका परिवार गर्व कर रहा है।