आज हम बात करने वाले हैं, दुनिया का सबसे महंगे पेड़ कहे जाने वाले चंदन के पेड़ की। जिसकी खेती कर किसान कम समय में धनवान हो जाते हैं। किसानों के पास चंदन की खेती से जुड़ी जानकारियों का अभाव रहने का कारण किसान इसकी खेती नहीं कर पाते हैं। आज हम चंदन की खेती से जुड़े तमाम जानकारियों को विस्तार से बताएंगे।
जहाँ पानी का PH मान साढ़े 6 से ऊपर है, वहां सफेद चंदन की खेती होती है। वहीं जहां पानी का पीएच मान साढ़े 6 से कम है, वहां लाल चंदन की खेती होती है। बाजार में 1 किलो चंदन की कीमत 30 हजार रुपए है। चंदन पारासइट प्लांट है, जिसके चलते दूसरे पौधों से भोजन पानी ग्रहण करता है, इसलिए जहाँ पेड़ आस–पास हैं। वहीं इसका पौधा लगाया जाता है।
दोमट मिट्टी में चंदन की खेती और भी जबरदस्त होती है। जहां पर पानी लगा रहता है, वहां चंदन की खेती नहीं हो सकती है। रेतीली मिट्टी में भी चंदन का पौधा नहीं लगता है। चंदन की अच्छी खेती के लिए समय-समय पर वर्मी कंपोस्ट, केंचुआ, खाद दवाओं का स्प्रे करते रहना चाहिए।
चंदन का पौधा पूर्ण रूप से तैयार होने में 12 से 15 साल तक का समय लग जाता है। इतने समय तक इसका वजन 15 से 20 किलो के बीच हो जाता है। बता दें कि चंदन की खेती के लिए सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है। साल 2017 के बाद से सरकार ने ऐसा नियम बना दिया है, कि सरकारी अधिकारियों को आवेदन देकर इसकी खेती सुगमता से कर सकते हैं।
सरकार इसके लिए सब्सिडी भी मुहैया करवाती है, किसानों को 28 हजार 400 रूपए मिलता है। एक एकड़ में तकरीबन 500 चंदन के पौधे लगाए जाते हैं और उसके बीच 10 से 12 फीट की दूरी होती है। जहां दूसरा कोई पौधा भी लगा कर किसान कमा सकते हैं।