उमंग श्रीधर की कहानी फर्श से अर्श तक पहुंचने जैसी है। कभी 30 हजार रुपए से व्यापार की शुरुआत करने वाले श्रीधर की कंपनी आज सालाना 60 लाख रुपए कमा रही है। अपने पुरुषार्थ और संघर्ष के दम पर भारत के शीर्ष–50 सोशल उद्यमियों में शुमार श्रीधर की कामयाबी जोखिमों से भरी रही है।
दमोह जिले से आने वाली उमंग श्रीधर राजधानी भोपाल में पढ़ाई को लेकर रहने लगी, जिसके बाद उनका ध्यान स्टार्टअप के तरफ गया। माँ जनपद की अध्यक्ष हैं, लिहाज उमंग और उत्साह में कमी नहीं थी। तमाम खोज और जानकारी इकठ्ठा करने के बाद श्रीधर ने अपने कंपनी को KhaDigi नाम दिया था। 30 हज़ार रुपए के छोटे निवेश से इस बिजनस की शुरुआत करी थी।
कंपनी हैंडलूम, फेव्रिक और खादी से बने प्रोडक्ट को बनाकार बेचती है। कंपनी खुदरा विक्रेता, डिजाइनर्स के साथ ही थोक विक्रेता इंडस्ट्रीज को भी माल सप्लाई करती है। कंपनी में महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के कारीगर भी काम करते हैं, तकरीबन सौ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है।
KhaDigi कंपनी कोरोना काल में 50 महिलाओं ने लगभग ढाई लाख मास्क बनाया, जिसे लोगों के बीच बांटा गया। उमंग इस बिजनेस का और विस्तार करना चाहती है। उमंग का कहना है, ऑर्गेनिक कॉटन, बांस और सोयाबीन के कचड़े को तैयार कर उसको बना यूरोप व ब्रिटेन जैसे मुल्कों में बेचकर मोटी कमाई की जाए।
उमंग की इस कामयाबी पर हर कोई गर्व कर रहा है। उनकी इस सफलता से और लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। एक महिला आत्मनिर्भर होकर आज सैकड़ों परिवारों के घर के दीपों को उजाला कर रही है। उमंग की यह कहानी शानदार और बेमिसाल है।