पिछले कुछ सालों से भारत देश जिस समस्या से जूझ रहा है उसमे सबसे ज्यादा असर शिक्षा के क्षेत्र में पड़ा है। ऐसी स्थिति में निरंतर शिक्षा को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहे है मुंबई (Mumbai) के एक सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुर्मी (Ashok Kurmi), जो वंचित बच्चों के पढाई के लिए एक पूरी बस को ही स्कूल में बदल दिया है।
15 अगस्त 2021 को किया मोबाइल स्कूल लॉन्च
आपको बताते चले कि अशोक कुर्मी के पास बस बेकार पड़ी थी इसलिए अशोक उसमें कुछ नया करना चाहते थे। जब देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, ठीक उसी दिन 15 अगस्त 2021 को मोबाइल स्कूल को अशोक कुर्मी जी ने लॉन्च किया।
भारत मे आई महामा री के कारण स्कूल बंद
भारत देश में सभी विद्यालय एवं शिक्षण संस्थान मार्च 2020 से बंद हैं। ऐसे में जो भी Online पढ़ाई नही कर रहे है उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन बच्चों का पढ़ाई से रिश्ता टूट चुका है।
अशोक ने गरीब बच्चों के लिए बनाया योजना
जो भी छात्र-छात्रा मोबाइल स्कूल का हिस्सा हैं, उनमें अधिकतर बच्चे गरीब हैं, जो फुटपाथ पर या झुग्गियों में अपना जीवन यापन करते हैं। उनके लिए वर्चुअल कक्षा एक सपना मात्र ही है। अशोक ऐसे बच्चों को देख इस नई पहल के माध्यम से उनकी मदद करने की योजना बनाई है।
सायन फ्रेंड्स सर्कल करती हैं योगदान
आपको बता दें कि वर्तमान में स्कूल पुराने एंटॉप हिल पोस्ट ऑफिस में काम कर रहा है और चरणबद्ध तरीके से विभिन्न अन्य विभागों को जोड़ने की योजना बना रहा है। दोस्तों का एक समूह, सायन फ्रेंड्स सर्कल, इस योजना की मदद करती है।
NGO कर रहा योगदान
अशोक कुर्मी एक समाज सेवा का कार्य कर रहे है जिससे NGO अपनी आय का एक प्रतिशत योगदान देती हैं। इससे पहले भी यह एनजीओ देश मे आए विभिन समस्याओं के दौरान बहुत से योगदान दे चुका है।
महामा री के दौरान किए लोगों की मदद
आपको पता हो कि महामा री के दौरान अशोक कुर्मी ने सांता के रूप में कपड़े पहने और मास्क का वितरण भी किए और लोगो को जागरूक भी किये। उन्होंने स्पाइडरमैन के रूप में भी कपड़े पहने और मुंबई के सार्वजनिक क्षेत्रो को साफ किया। इतना ही नहीं उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को डोरेमोन के कपड़े पहनकर फ्री हेयरकट भी कराया।
डिजिटल उपकरणों की सुविधा नहीं है सरकार दे ध्यान
भारत देश मे अधिकतर राज्यों में 2.96 करोड़ से अधिक विधालय के छात्रों के पास डिजिटल उपकरणों तक नहीं है, जिसमें बिहार सबसे अधिक है। कुल 2.96 करोड़ में दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ के ऐसे छात्र-छात्रा शामिल नहीं हैं।