“कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।” इस पंक्ति को चरितार्थ किया है मिर्जापुर (UP) के सौरभ पांडे ने। जिन्होंने 5वीं बार असफलता हाथ लगने के बाद भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने मजबूत फौलादी इरादों से 6वीं प्रयास में बने आईएएस अधिकारी।
भारत में सिविल सर्विसेज की तैयारियों को लेकर युवाओं में गजब का क्रेज देखने को मिलता है। आईएएस बनने की चाह में कितने युवा फर्श से अर्श तक पहुंच जाते हैं तो कितने तपती भट्टी में जलकर भस्म हो जाते हैं, ऐसी ही एक आईएएस बनने की चाह को लेकर उत्साह संघर्ष और जुनून से भरी कहानी मिर्जापुर के सौरभ पांडे की है।
मिर्जापुर से आने वाले सौरभ पांडे बिट्स पिलानी से ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी करने लगे। इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने की सोची। महज 3 महीने की तैयारियों में वो पहले मर्तबा साल 2014 में UPSC की परीक्षा दी लेकिन इस परीक्षा में सफल नहीं हो सके। लगातार दूसरे प्रयास में भी सौरभ यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके।
लेकिन सौरभ ने तैयारियों को जारी रखा। साल 2017 में उन्होंने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों क्लियर करने के बाद भी इंटरव्यू में असफल हो गए। जिस वजह से उनका चयन नहीं हो सका। फिर सौरभ ने साल 2018 में पांचवी बार परीक्षा दी इस बार भी उनको असफलता ही हाथ लगी़। सौरभ के लिए यह वक्त मुश्किल और कठिनाइयों से भरा था।
सौरभ ने अपनी गलतियों से सबक लेते हुए अपनी तैयारियों की पैटर्न को बदला। फिर सौरभ ने साल 2019 में परीक्षा दिया। इस परीक्षा में उन्होंने 66 वी रैंक हासिल की। इसके साथ ही उनके घर और परिवार में खुशियों की लहर दौड़ गई और सौरभ बन गए सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले युवाओं के प्रेरणास्त्रोत।