भारत में सिविल सर्विसेज की तैयारियों का जुनून सर चढ़ कर बोलता है। इस एग्जाम को क्लियर करने के चक्कर में कितने युवा फर्श से अर्श तक पहुंच जाते हैं तो कितने इस तपती भट्टी में जलकर भस्म हो जाते हैं। ऐसी ही एक संघर्ष और जुनून से भरी कहानी आईएएस बुशरा बानो की है। जिन्होंने आईएएस बनने की चाह में विदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी को छोड़ स्वदेश लौट आई।
मिडल क्लास परिवार से ताल्लुकात रखने वाली बुशरा बानो उत्तर प्रदेश के कन्नौज से आती है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी मैनेजमेंट की पढ़ाई की। इसी दौरान मेरठ के असमर हुसैन से नजदीकियां बढ़ती हैं और शादी भी हो जाती है। पति असमर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग कर सऊदी अरब की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का काम करते थे।
शादी के बाद बुशरा बानो भी साल 2014 में सऊदी चली गई। वहां जाने के बाद वो भी असिस्टेंट प्रोफेसर बन जाती है। लेकिन इतनी हाई प्रोफाइल जॉब के बाद भी बुशरा अपने आप में संतुष्ट नहीं थी। फिर उन्होंने स्वदेश लौटने का फैसला लिया। साल 2016 में यहां आने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुट गई।
घर की जवाबदेही और बच्चें को संभालना और फिर तैयारियों में अपना समय सेना यह मुश्किल भरा वक्त था। बुशरा ने सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाया। रोजाना 10–15 घंटे की पढाई करती रहीं। साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा पास नही हो सका, यह समय काफी काठिनईयों से भरा था, लेकिन बुशरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जमकर तैयारी की और 2018 में यूपीएससी परीक्षा पास की जिसमे उन्हें 277 वां रैंक प्राप्त किया और आईएएस अधिकारी बनी।