सबसे कम उम्र के IPS सफीन हसन की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है, जो सिविल सर्विसेज में अपना करियर बनाना चाहते हैं। अति साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले हसन मूलतः गुजरात से है।
22 साल के सफीन हसन ने यूपीएससी की परीक्षा 570वीं रैंक के साथ पास की थी। गुजरात कैडर से आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए वे हैदराबाद गए। ट्रेनिंग पूरी हुई तो गुजरात में जामनगर जिले से पुलिस उपाधीक्षक का पदभार संभाला। सफीन के माता-पिता दोनों श्रमिक थे। सफिन हसन के माता पिता हीरा तराशने का काम कर देते हैं पर सफीन के पढ़ाई में जब पैसे कम पड़ने पर मां दूसरों के घरों में काम कर और शादी समारोह में रोटियां बेलकर हसन की पढ़ाई का खर्चा निकाला।
सफीन के माता जाड़ों में अंडे और चाय का ठेला भी लगाते थे। परिवार की तमाम परेशानियों और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी तैयारी को जारी रखा। सफीन जब यूपीएससी मेन्स के चौथे पेपर देने का एग्जाम देने जा रहे तब वे सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए थे। दर्द के बाबजूद हसन ने परीक्षा दिया और पास भी हुए।
सफीन हसन बताते हैं कि वह मौसी के साथ मेला देखने गए थे और कलेक्टर की कार देखकर वो इसके बारे में जानने लग गए।
लाल बत्ती लगी हुई कार सफील को इस कदर भा गया कि तभी उन्होंने आईपीएस बनने की ठान ली। अंततः बन गए 22 साल की उम्र में देश के सबसे युवा आईपीएस।
हसन इस कामयाबी के लिए उन सभी लोगों को याद करते हैं जिन्होंने इस सफर हसन का साथ दिया। उनकी हाई स्कूल प्रिंसिपल ने स्कूल की 80000 रु फीस माफ़ कर उनकी मदद की। वही गुजरात के प्रसिद्ध पोलरा परिवार ने UPSC सिविल सेवा की तैयारी के दौरान 2 साल तक उनका सारा खर्चा उठाया। यहाँ तक की उनकी कोचिंग फीस भी उन्होंने ही भरी।