Bihar Land Registry Rule: बिहार की राजधानी पटना में जमीन की प्लॉटिंग से संबंधित एक सख्त निर्देश जारी किया गया है। इस निर्देश में राज्य के शहरी निकाय या शहर से स्टेट स्टोआ क्षेत्र में जमीन की प्लॉटिंग के लिए 20 फीट सड़क आवश्यक होने की बात कही गई है। जमीन की रजिस्ट्री में इस सड़क का विवरण करते हुए निबंध की प्रक्रिया पूरी की जायेगी।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आधिकारिक तौर पर मैडी निषेध, उत्पाद एवं निबंध विभाग के सचिव को पत्र लिखा। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने इसमें शामिल करने की बात कही। इसके अतिरिक्त, पत्र में कहा गया है कि किसी कारणवश ऐसा मुमकिन नहीं है तो संबंधित शिक्षकों का लिखित विवरण या अनापत्ति के बाद ही रजिस्ट्रीकरण (Bihar Land Registry Rule) की अनुमति दी जाएगी। साथ ही इस पत्र में लिखा कि ऐसा देखा जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों के अंदर नए क्षेत्र या कम विकास हो पाए कार्यक्रम क्षेत्र के अंतर्गत आंध्र प्रदेश में ले-आउटपुट के डिविजनल मशीनरी द्वारा प्लॉटिंग हुए बिना कंपनियों की खरीद-फरोख्त जारी है।
Bihar Land Registry Rule के तहत जरूरी बदलाव।
इसके अलावा इन क्षेत्रों में रीच पाथ या बहुत कम चौड़ी सड़क छोड़े जाने के बिना ही विभिन्न प्लॉट को बेचा जा रहा है। Bihar Land Registry Rule के तहत निर्माण भवन में पहले से ही स्ट्रीट की लंबाई के आधार पर न्यूनतम चौड़ाई आवश्यकताओं को स्थापित किया गया है, जिसमें न्यूनतम चौड़ाई नौ मीटर है। साथ ही इसमें कहा गया कि राज्य में सार्वजनिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए निर्धारित प्लॉट के सामने कम से कम 20 फीट चौड़ी सड़क अनिवार्य है। इसे निर्देशित करने के लिए सभी निबंधों का अनुरोध किया गया है जिससे इसका उपयोग हो सके।
Bihar Land Registry Rule शहरी विकास के लिए लाया गया।
पटना मेट्रोपॉलिटन एरिया अथॉरिटी ने आधिकारिक तौर पर अगले दस वर्षों के लिए पटना के मास्टर प्लान-2031 को अपडेट करने की बात कही है, जिसके तहत नया Bihar Land Registry Rule लाया गया है। पटना मेट्रोपॉलिटन एरिया अथॉरिटी की ओर से वर्ष 2041 तक इस मास्टर प्लान को तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्राप्त हो गई है। मौजूदा पटना मास्टर प्लान 2031 के हो रहे व्यावहारिक और तकनीकी कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। इस मास्टर प्लान में दस श्रेणियों में भूमि का वर्गीकरण किया जाएगा। इनमें आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, संस्थागत, सार्वजनिक उपयोगिता भवन, परिवहन और उपयोगिताएँ, कृषि, हरित पट्टी, विशेष क्षेत्र और मिश्रित भूमि उपयोग शामिल हैं।