Online Payment Alert: देश में डिजिटल पेमेंट प्लेटफार्म की संख्या में लगातार काफी बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि इन डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग काफी सतर्कता से करना चाहिए। इसलिए क्योंकि अब ठगों ने ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने वालों को ठगने का नया रास्ता खोज लिया है। ऑनलाइन डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के सहयोग से साइबर क्रिमिनल ने बीते 16 दिनों में मुंबई में 18 लोगों से लगभग 1 करोड़ रुपये की भारी ठगी कर ली हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम Online Payment Alert को लेकर चर्चा करेंगे।
Online Payment Alert: बाजार में ठगी का नया तरीका।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक केवाईसी, पैन स्कैन के मान पर लोगों से ठगी किया जाता था। परंतु अब बाजार में एक नए किस्म का बैंक ठग आया है, जिसमें साइबर क्रिमिनल यूजर्स के फोन पे या गूगल पे खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं। फिर कॉल कर बोलते हैं कि गलती से आपके खाता में पैसा चला गया है। इस तरह लोग झांसे में फंसकर पैसा रिटर्न कर देते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं।
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Online Payment Alert: खाता कैसे हो जाता है हैक?
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक एक तरह का यह मालवेयर है, जिसमें कुछ अमाउंट भेजे जाते हैं, फिर गलती से पैसा भेजने की बात कहकर पैसे रिटर्न करने की बात करते है। जैसे आप पैसे रिटर्न करते हैं, वैसे ही आपका ऑनलाइन डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म खाता हैक हो जाता है। यह मैलवेयर और ह्यूमन इंजीनियरिंग का मिक्स है।
Online Payment Alert: एंटी वायरस भी पकड़ने में असमर्थ।
जब कोई ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म से फंड भेजता है, तो उसका पूरा डेटा बैंकिंग केवाईसी आधार कार्ड डिटेल, डॉक्यूमेंट, पैन ट्रांसफर हो जाती है। यह कागजात किसी खाता को हैक करने के लिए काफी होते हैं। इस प्रकार बैंक ठग का शिकार बनते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, तो ह्यूमन इंजीनियरिंग और मैलेवयर फिशिंग प्लस का मिक्स होने के चलते एंटी मैलेवयर सॉफ्टवयेर नए मैलवेयर पकड़ने में असमर्थ हैं। इस प्रकार आप आसानी से डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के सेफगार्ड से मुक्ति पाया जाता है।
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Online Payment Alert के लिए डिस्क्लेमर।
इस रिपोर्ट के बाद कुछ विशेषज्ञ और यूपीआई ऐप्स ने कहा कि ऐसा संभव ही नहीं है, क्योंकि जब यूजर्स अपने बैंक खाता को किसी यूपीआई ऐप से लिंक करता है, तब बैंक यूपीआई ऐप के साथ केवाई इन्फॉर्मेशन नहीं शेयर करता है। लिहाजा यूपीआई ऐप से पर्सनल डेटा जैसे कि केवाईसी को हैक भी नहीं किया जाता है। जब यूपीआई ऐप से रूपए का ट्रांजेक्शन होता हैं, तो सिर्फ रिसीवर अमाउंट व सेंडर का UTR नंबर शेयर किया जाता है।