बिहार में सातवें चरण के शिक्षक नियोजन नियमावली में बड़ा फेरबदल करने की तैयारी जारी है। अलग-अलग वर्गों के ढाई लाख से ज्यादा शिक्षकों के खाली पदों पर इस दफा पंचायती राज संस्थाएं नियुक्ति नहीं करेंगी। सरकार शिक्षक सिलेक्शन प्रोसेस से पंचायती राज की भूमिका के हटाने की कवायद में है। नियोजन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने हेतु जिला स्तर पर केंद्रीकृत इकाई गठित होगी। यही संस्था शिक्षक पद हेतु अनुशंसित उम्मीदवारों की ना केवल जिला स्तर पर काउंसलिंग करेगी, परंतु उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपेगी। पंचायत से लेकर अंचल और नगरीय निकायों के रेंज में आने वाले तमाम चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जिला मुख्यालय के द्वारा मिलेंगे।
यह तमाम तथ्य सातवें चरण के लिए शिक्षक नियोजन हेतु तैयारी हो रही नियावाली में प्रस्तावित हुए हैं। राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों की राय के नियमावली को भेजी गई है। शीर्ष अधिकारियों की राय को विभाग के अधिकारियों के नवाब अली बनाने वाली कमेटी समाहित करने वाली को अंतिम रूप देकर कैबिनेट को भेजेगी। सातवें चरण में प्राथमिक चरण से उच्च माध्यमिक स्तर तक शिक्षकों के नियोजन हेतु एक ही नियमावली बनाई गई है। इससे पहले नियमावली विभिन्न हुआ करती थी। शिक्षकों का सिलेक्शन शैक्षणिक तथा प्रशैक्षणिक अंकों के तहत होगा। इसके लिए फार्मूला बना लिया गया है।
बता दें कि चयन हेतु लिखित परीक्षा नहीं होगी और इंटरव्यू भी नहीं होगा। हालांकि सलेक्शन करने वाली एजेंसी के तीन ऑप्शन सुझाए गए हैं। इसके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बिहार लोक सेवा आयोग तथा बिहार तकनीकी सेवा आयोग में से किसी एक एजेंसी का सिलेक्शन किया जाना है।
इस दफा प्राथमिक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों, माध्य, माध्यमिक, प्रयोगशाला सहायक, शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, कम्प्यूटर शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष सहित सभी की भर्ती एक साथ निकलेंगी। इनकी बहाली का शेड्यूल एक समयावधि में रहेगा। जिला संवर्ग में सभी को रखा जायेगा। नियुक्ति च्वाइस के आधार पर होगी।