बिहार में दीदी रसोई योजना की शुरुआत साल 2018 में वैशाली जिले के अस्पताल से हुई थी। इस योजना के तहत प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को कैंटीन में जीविका दीदियों को यहां बहाल मरीजों और उनके स्वजनों एवं अस्पताल के कर्मियों को उच्च गुणवत्ता का खाना उपलब्ध कराया जाना था।
वहीं, आज की तारीख में दीदी की रसोई बैंक, अस्पतालों, छात्रावास, निजी संस्थान आदि में चल रही है। जीविका के डीपीसीयू प्रबंधक बिपिन कुमार बताते हैं कि अस्पतालों के अलावा जो संस्थान, हमारे यहां दीदी की रसोई खोलने को लेकर कहते हैं, उनकी पूर्ण तरह से जांच होती है और परमिशन दी जाती है। पटना जिले में 10 स्थानों पर फिलहाल दीदी की रसोई का संचालन किया जा रहा है।
शहर में अलग-अलग जगहों में संचालन किए जा रहे दीदी की रसोई में 100 से अधिक जीविका दीदियों काम कर रही हैं। ये दीदियां फूलवारीशरीफ, पटना सदर, दीघा आदि जगहों से प्रतिदिन सुबह आठ बजे से संध्या तक काम करती हैं। दीदियों की मदद हेतु 20 स्टाफ बहाल किए गए हैं। दीदी की रसोई खुलने का समय संस्थान पर डिपेंड करता है। बैंक में सुबह नौ बजे से खुलती है, जबकि अस्पतालों और हॉस्टल में डे वाइज या वीकली शिफ्ट किया जाता है।
आरबीआइ, पटना ब्रांच में रोजाना काउंटर सेल 7-8 हजार रुपये है। एसबीआइ में प्रतिदिन 5-6 हजार का काउंटर सेल है, जबकि 12 से 13 हजार रुपये का काउंटर सेल रजिस्ट्री ऑफिस में है। वहीं, अस्पतालों में परिजनों और मरीजों के अनुरूप 15 हजार रुपये तक काउंटर सेल हो जाता है।
राजधानी पटना में जिन जगहों पर दीजिए कि रसूल का संचालन किया जा रहा है उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पटना(मेन ब्रांच), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, पटना(मेन ब्रांच), डेवलपमेंट मैनेजर इंस्टीट्यूट (डीएमआइ) पटना, सब डिविजनल हॉस्पिटल, बाढ़, रजिस्ट्री ऑफिस, पटना, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल, पटना सिटी, राजकीय आंबेडकर एससी/एसटी स्कूल, पुनपुन, राजकीय आंबेडकर एससी/एसटी स्कूल ,गायघाट, राजकीय आंबेडकर एससी/एसटी स्कूल पिपलावां, नौबतपुर और 18 नवंबर को एसडीएच, मसौढ़ी का उद्घाटन होना है।