नए वित्तीय वर्ष से बिहार में बिजली में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। मंगलवार के दिन बिजली कंपनियों की ओर से इससे संबंधित प्रस्ताव को लेकर बिहार विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष याचिका सौंपी जाएगी। कंपनी की ओर से इसकी तैयारी कर ली गई है। विगत वर्षों के अनुसार इस बार भी कंपनी ने अनुदानरहित याचिका दायर करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि आयोग कंपनी की याचिका पर जनसुनवाई के बाद ही नई दर तय किया जाएगा।
बिजली कंपनी की ओर से प्रतिवर्ष 15 नवम्बर तक बिजली दर का प्रस्ताव आयोग को सौंपी जा रही है। उसी परम्परा के अंतर्गत ट्रांसमिशन कंपनी की ओर से बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर विभिन्न याचिका दायर की जाएगी। जबकि घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दर तय करने के लिए नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड अलग-अलग याचिका दायर करेगी।
याचिका में खास बिजली आपूर्ति के खर्च में हुई वृद्धि को आधार मानकर कंपनी की ओर से सभी श्रेणी को मिलाकर सम्रगता में 35 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि करने का प्रस्ताव देने का निर्णय लिया गया है। कंपनी का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से बिजली इकाइयों के लिए विदेशी कोयले के उपयोग का एक मानक तय कर दिया गया है। इससे बिहार के साथ सभी राज्यों को मौजूदा समय की तुलना में महंगी बिजली मिलेगी। इसके साथ ही कंपनी की ओर से फिक्स्ड चार्ज में भी वृद्धि का प्रस्ताव दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त विगत चार वर्षों में से दो साल आयोग ने शून्य और दो वर्ष मामूली बिजली दर वृद्धि की गई। जबकि कंपनी का वास्तविक खर्च बहुत अधिक बढ़ गया है। उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली देने का हवाला देते हुए कंपनी की ओर से याचिका में अधिक दर बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा है।
याचिका में अधिक वृद्धि के प्रस्ताव के साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं को कई मदों में प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया गया है। कंपनी की ओर से तय क्षमता से अधिक भार होने पर जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपभोक्ताओं से अधिक पैसा लिया जाता है, उसे छह माह शथिल करने को लेकर निर्धारण किया गया है। इस अवधि में उपभोक्ता खपत के अनुसार भार बढ़ा लेंगे जिससे उन्हें अधिक पैसा नहीं देना पड़े। कंपनी की ओर से वित्तीय वर्ष 2021-22 में हुए वास्तविक खर्च और आमदनी के साथ वित्तीय वर्ष 2022-23 की संभावित आमदनी और खर्च का ब्योरा दिया गया है। कंपनी वर्ष 2023-24 में होने वाले खर्च का आकलन करते हुए आयोग से पैसे की मांग करेगी।
बिजली कंपनी के प्रधान सचिव और ऊर्जा विभाग सह अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने कहा कि कंपनी की ओर से तय समय में बिजली दर की याचिका सौंपने का निर्णय लिया गया है। बिजली उत्पादन इकाइयों में विदेशी कोयले का उपयोग करने की बाध्यता और बिजली आपूर्ति में हो रहे खर्च को देखते हुए ही वृद्धि का प्रस्ताव दिया जा रहा है।