बिहार, पटना के Auto Diver श्रवण को सालम, ऑटो में छूटा महिला का पर्स, खोजकर लाखों रुपया किया वापस

पटनाः ऑटो चालक ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, गाड़ी में छूटा था पर्स, महिला को खोजकर किया वापस

अक्सर आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि आज के जमाने में ईमानदारी की जगह नहीं है, हर ओर चोर और लुटेरे बैठे हैं। ऐसा कहने वाले लोगों को पटना के एक ऑटो चालक ने ईमानदारी पेश कर जवाब दिया है जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। यह कहानी है पटना के एक टेम्पो चालक श्रवण कुमार की।

दरअसल, हुआ ये कि पटना में सर्वे ऑफिस में काम करने वाली प्रिया कुमारी शनिवार को अपनी मां के साथ एक ऑटो में सवार हुई। ऑटो से जाने के बाद शास्त्रीनगर के बाबा चौक इलाके में प्रिया उतर गई।घर पहुंचने पर पता चला कि उनका पर्स ऑटो में ही छूट गया।

आनन-फानन में प्रिया घर से निकली और उस टेम्पो की तलाश करने लगी। इधर ऑटो में महिला का पर्स देखते ही चालक श्रवण कुमार का माथा ठनका। उसमें रखे हजारों रुपये देखकर भी उसका ईमान नहीं डोला बल्कि पर्स को लेकर वह बेचैन हो गया। उस महिला पैसेंजर की तलाश में संबंधित रूट व एरिया की ओर ऑटो को दौड़ाने लगा। थोड़ी ही देर बाद दोनों का आमना-सामना हो गया।

दोनों ने एक-दूसरे को पहचान लिया. पीड़ित महिला को उम्मीद नहीं थी कि पर्स वापस मिलेगा। महिला को देखते ही टेम्पो चालक श्रवण कुमार ने पर्स को सामने रख दिया. वह महिला से कहा, “मैडम जी, देख लीजिए, सब सेफ है न.” फिर प्रिया ने बैग चेक कर राहत की सांस ली. पर्स में कैश व अन्य सामान सही-सलामत थे।

इधर, अपना पर्स देख प्रिया ने राहत की सांस तो ली ही साथ में चालक को दुआएं दी। इसके साथ में सौ रुपये नकद देकर पुरस्कृत व सम्मानित भी किया। मौके पर मौजूद दूसरे टेम्पो चालकों ने भी श्रवण की ईमानदारी को सराहा। बताया कि पीड़ित महिला परेशान होकर राजीवनगर से शेखपुरा तक चक्कर लगा रही थी पर ऑटो चालक ने उन्हें निराश नहीं होने दिया।

ऑटो चालक श्रवण कुमार ने कहा कि बाबा चौक पर महिला कर्मचारी को ड्रॉप किया था। उतारने के बाद गाड़ी घुमा ही रहा था कि उसकी नजर पर्स पर पड़ी। इसके बाद वह महिला की तलाश करने लगा। इसी क्रम में उसे महिला मिल गई और उसने पहचान लिया और पर्स को दे दिया।

वहीं, पर्स मिलने के बाद प्रिया ने कहा कि वह ऑटो से बाबा चौक उतर गई थी। साथ में उसकी मां भी थी। उतरकर जाने के समय पर्स छूट गया था। घर पहुंचने के बाद पर्स का ध्यान आया। वह अंदर से घबरा गई थी। कहा कि उसने उम्मीद छोड़ दी थी कि पर्स मिलेगा पर अंदर से यह भी लग रहा था मिल जाएगा।

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