भारत में महिलाओं की वीरता की बात करे तो बहुत सी ऐसी वीरांगनाएं हुई हैं, जिन्होंने अपनी वीरता के दम पर इतिहास में अपना नाम दर्ज किया है। ऐसी ही महिलाओं में एक नाम अपराजिता राय का भी है, जिन्होंने जिंदगी की हर परिस्थिति से लड़कर सिक्किम की पहली महिला IPS अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया है।
वन विभाग में डिविजनल ऑफिसर के तौर पर पिता कार्यरत थे। मां रोमा राय भी एक शिक्षिका थीं। जब अपराजिता 8 वर्ष की थीं, तभी पिता गुजर गए। मां के कंधों पर जब जिम्मेवारी आई तो उन्होंने हमेशा अपराजिता के हौंसले को बुलंद बनाया। अपराजिता को अच्छी परवरिश दी। बेहद कम उम्र में ही सरकारी महकमों में आम लोगों के प्रति दिखने वाली असंवेदनशीलता पर अपराजिता ने गौर फरमाना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे काफी कुछ देखते हुए उन्होंने सिस्टम का हिस्सा बनने की ठान ली, ताकि काम करने के तौर-तरीकों में वे बदलाव ला सकें।
अपराजिता 12वीं की परीक्षा में सिक्किम में 95% अंक लाकर टॉप किया और ताशी नामग्याल एकेडमी की ओर से उन्हें इसके लिए बेस्ट ऑलराउंडर श्रीमती रत्ना प्रधान मेमोरियल ट्रॉफी से सम्मानित भी किया गया। उनके पिता का सपना था कि आप आज का वकील बनने अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए कोलकाता से बीए एलएलबी ऑनर्स की डिग्री भी उन्होंने हासिल की और ज्यूरिडिशियल साइंस में गोल्ड मेडल तक हासिल करके वकालत भी की, मगर उनकी मंजिल कुछ और थी कुछ करना है तो बड़े पद पर जाना ही पड़ेगा।
इन्हीं इरादों के साथ उन्होंने UPSC की तैयारी शुरु कर दी और 2011 में पहली बार UPSC की परीक्षा देने के बाद 950 में से 768वीं रैंक हासिल की। लेकिन इस रैंक से वह संतुष्ट नहीं थी। 2012 में दोबारा परीक्षा देकर 368वीं रैंक हासिल की और UPSC में सिक्किम के इतिहास में सबसे बेहतर रैंक प्राप्त करने वाली पहली महिला भी बन गई। महज 28 वर्ष की उम्र में IPS बनने वाली यह गोरखा गर्ल फिलहाल कोलकाता में स्पेशल टास्क फोर्स की डिप्टी कमिश्नर का पद पर सेवा दे रही ई हैं। अपराजिता राय का मानना है कि युवाओं को आगे आकर खुद को निखारने की जरूरत है। वे बैडमिंटन की भी अच्छी खिलाड़ी हैं। गिटार भी बजाती हैं। नृत्य कला भी जानती है। वास्तव में अपराजिता राय की कहानी इस देश की हर बेटी के लिए प्रेरणादायक है।