हमारे देश भारत मे आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो खुद से पहले दूसरे के बारे में सोचते हैं। उन्ही से एक महिला है देहरादून (Dehradun) की रहने वाली हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma)
हिरेशा वर्मा आईटी सेक्टर में करती थी काम
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) पहले IT सेक्टर में काम करती थीं। पूरी जिंदगी चकाचौंध में बीत रही थी लेकिन वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के कारण उनकी लाइफ बदल गयी। बाढ़ से प्रभावीत लोगों की परेशानियों को उनसे देखी ना जा सका। उन्होंने नौकरी छोड़ लोगों की मदद करने का निर्णय कर लिया।
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) 1.5 करोड़ रुपए का कर रही सालाना टर्नओवर
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) गाँव वालों की परिस्थिति देख उनके बीच रहकर कुछ अलग करना चाहती थी, जिससे लोगों का जीवन पहले जैसा हो सके। वर्ष 2013 के अंत में उन्होंने मशरूम फार्मिंग की शुरुआत की। वर्तमान में हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) के साथ 2000 से ज्यादा लोग जुड़े हैं, जिसमें ज्यादातर महिलाएँ हैं।
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) 9 तरह के उगाती हैं मशरूम
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) 9 तरह के मशरूम उगा रही हैं, जिसके जरिए वह साल का 1.5 करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रही है।
2 महीने में हुआ 5 हजार रुपए का लाभ
50 वर्ष की हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) बताती हैं कि उत्तराखंड (Uttarakhand) का मौसम काफी ठंडा होता है इसलिए यहाँ मशरूम की खेती आसानी से की जा सकती है। हिरेशा इसके लिए हिमाचल के डायरेक्टोरेट ऑफ मशरूम रिसर्च से एक महीने का प्रशिक्षण भी ली है।
2 हजार की लागत से शुरू हुई खेती
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) मशरूम की खेती की शुभारंभ 2000 रुपए की लागत से अपने घर से ही की। 2 से 3 महीने बाद हिरेशा को इसे बेच कर 5000 रुपए का लाभ हुआ।
हिरेशा मुफ्त में देती हैं मशरूम फार्मिंग की ट्रेनिंग
लाभ होने से हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) का कॉन्फिडेंस और बढ़ गया। ठीक अगले वर्ष उन्होंने एक गाँव में किराए पर जमीन ली और झोपड़ी में मशरूम का सेटअप शुरू किया। यहाँ उन्होंने 500 से ज्यादा मशरूम के बैग्स लगाए।
जल्द मिलने लगा लाभ
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) बताती हैं कि जल्द ही मशरूम निकलने लगा और उत्पादन भी अच्छा हुआ। जब अच्छी कमाई होने लगी तो हिरेशा अपने साथ गाँव के लोगों को भी इस मुहिम से जोड़ने लगी। वे गाँव के किसानों को मुफ्त में मशरूम फार्मिंग का प्रशिक्षण देती हैं।
लोग कर रहे पसंद
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) बतातीं है कि मशरूम तैयार होने के चंद घंटों में ही उनका मशरूम बिक जाता है। कई बड़े व्यापारी और होटल वाले हिरेशा के नियमित ग्राहक भी हैं।
मशरूम से तैयार करती हैं कई प्रोडक्ट
हिरेशा पिछले दो वर्ष से वैल्यू एडिशन पर काम कर रही है। उन्होंने Hanagrocare नाम से कंपनी रजिस्टर की है। हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) अब मशरूम की प्रोसेसिंग करके अचार, चाय, कॉफी, पापड़, सूप जैसे उत्पाद तैयार कर रही है।
AC के मदद से गर्मी के मौसम में भी उगाया जा सकता है मशरूम
हिरेशा वर्मा (Hiresha Verma) बताती है कि मशरूम की खेती झोपड़ी या घर में भी कर सकते हैं। इसके लिए 15 से 20 डिग्री का तापमान होना जरूरी है, तो कुछ ऐसे भी मशरूम हैं जो गर्मियों में भी जीवित रह जाते हैं। बटन मशरूम ठंड के सीजन में होता है जबकि ओएस्टर और मिल्की मशरूम गर्मियों में भी हो सकता हैं। आप चाहें तो AC के मदद से गर्मी के मौसम में भी मशरूम उगा सकते हैं।
जानें मशरूम के लंबाई की जानकारी
एक बेड की लंबाई और ऊँचाई दोनों 5 फीट होनी चाहिए। उसके बाद इसमें पानी मिलाकर 30 दिन तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है।
कई राज्यों में दी जाती है मशरूम की खेती की ट्रेनिंग
हमारे देश भारत के कई राज्यों में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा लेवल का कोर्स भी होता है। आप ICAR- खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन से इसकी ट्रेनिंग ले सकते हैं। अगर आपको इस जानकारी लेनी हो तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से भी ले सकते है। इसके अलावा कई लोग व्यक्तिगत रूप से भी आपको प्रशिक्षण देते हैं तथा इंटरनेट पर भी इसकी भरपूर जानकारी उपलब्ध है।