45 दिनों के भीतर दो रेल रूट की शुरुआत होने से मधुबनी वासियों का नेपाल के साथ ही सहरसा का भी सफर आसान हो गया है। व्यापार को भी बढ़ावा मिल रहा है। बात जब अंग्रेजी हुकुमत के दौरान की है तब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। उस वक्त विनाशकारी भूकंप ने कोसी पर बना रेल पुल को तोड़ दिया था। इससे सीमांचल और मिथिलांचल का रेल नेटवर्क समाप्त हो गया था। गत दिनों रेल रूट शुरू होने के बाद एक दर्जन से ज्यादा ठंड पड़े रेलवे स्टेशनों की स्थिति बदल गई है। इसके साथ ही मधुबनी के जयनगर से नेपाल के कुर्था तक 2 अप्रैल से ट्रेन परिचालन शुरू हो जाने के बाद दो राष्ट्रों के बीच आवागमन सुलभ हो गया है।
बता दें कि वर्ष 1934 में भीषण भूकंप ने मिथिला के पूर्वी व पश्चिमी हिस्से को दो ग्रुप में बांट दिया था। दरभंगा और मधुबनी का सुपौल व सहरसा से रेल संपर्क खत्म हो गया था। इसे 88 वर्षों के लंबे समय के बाद कुर्सी पर महासेतु बनने के बाद यह हिस्सा फिर से जुड़ा है। कोसी पर निर्मित मेगा ब्रिज को 18 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था। इसके बाद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 7 मई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस रेल रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू करने को हरी झंडी दिखाई। आमान परिवर्तन के बाद झंझारपुर-निर्मली रुट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ। इससे मधुबनी जिले के लगभग 20 लाख आबादी को लाभ मिला है।
इस रेल रूट से मधुबनी के लोगों को सहरसा जाने में रुपए और समय दोनों की बचत हो रही है। अभी तक रेल रूट से सहरसा जाने के लिए लोगों को लगभग 7 घंटे का सफर तय कर समस्तीपुर के रास्ते जाना पड़ता था। अब सवारी गाड़ी से झंझारपुर होते हुए लगभग 5 घंटे में सहरसा पहुंच रहे हैं। पहले यात्रियों को 100 रुपए का टिकट लेना होता था अब 50 रुपए के टिकट पर ही सहरसा की यात्रा कर रहे हैं। झंझारपुर से सहरसा की दूरी 217 किलोमीटर की थी, जो घटकर अब 123 किलोमीटर हो गई है।
झंझारपुर से मधुबनी जिले के बॉर्डर तक बंद पड़े स्टेशनों की सूरत अब बदलने लगी है। रोजाना दरभंगा से सहरसा के बीच 3 जोड़ी सवारी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। यात्रियों की भीड़ बढ़ने से दुकानदारों को भी इसका लाभ मिलेगा। किसान और व्यापारियों को खासा लाभ मिलने लगा है, एक जिले से दूसरे जिले अपने सामान को लेकर पहुंचने लगे हैं। कपड़ा व्यापारी हरि प्रकाश बेहद खुश हैं। वह कहते हैं कि आप सड़क रूट के बजाय ट्रेन से ही माल मंगवाया जाएगा। इससे पैसा बचेगा।
जयनगर से नेपाल के अलग-अलग स्टेशनों का किराया इस प्रकार है। इनर्वा का किराया 13 रुपए, खजुरी का 16 रुपए, महिनाथपुर का 22 रुपए, वैदेही का 28 रुपए, परवाहा का 34 रुपए, जनकपुर का 44 रुपए, कुर्था का 56 रुपए है।
ट्रेन से सफर करने वाले दोनों मूल्कों के नागरिकों को आइडेंटी सर्टिफिकेट यानी पहचान पत्र रखना अनिवार्य होगा। वे इसके लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड या अन्य डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। टिकट कटाने के समय काउंटर पर इसे दिखाना होगा। ट्रेन परिचालन शुरू हो जाने के बाद बस से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में 10 से 20 फीसद की कमी देखी गई है।