लॉक डाउन के कारण कई राज्यों में आज भी स्कूल बंद पड़े हैं । इस समस्या ने शिक्षा को ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया है। परंतु कई छात्र जो स्मार्टफोन नहीं खरीद सकते थे उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन ओडिशा की एक छात्रा ने तमाम परेशानियों के बावजूद एक रास्ता निकाल लिया। सीमा ओडिशा के आआदिवासी समाज जिले मलकानगिरी में रहती है। वह आदिवासी समूह से ताल्लुक रखती है और दसवीं की छात्रा है।
लॉक डाउन की वजह से स्कूल बंद हो गए इसके बाद ऑनलाइन पढ़ाई शिक्षा का एकमात्र जरिया रह गया। ऐसे में सीमा के परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उन्हें मोबाइल फोन खरीद के दे सके। सीमा ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रही थी। सीमा को लगा लॉक डाउन थोड़े ही दिनों के लिए है। लॉक डाउन खत्म होने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा और फिर से वह स्कूल जाएगी। पर लॉक डाउन लंबा चला स्थिति कुछ बेहतर भी हुई इसके बाद दूसरी लहर आ गयी।
लॉक डाउन बढ़ जाने के बाद सीमा के मन में डर बैठ गया कि कहीं उसे अपनी बड़ी बहन जैसा फैसला ना लेना पड़े। दरअसल सीमा की बड़ी बहन ने घर की आर्थिक स्थिति देखते हुए दसवीं के बाद की पढ़ाई छोड़ दी। लॉक डाउन के बाद ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन जरूरत बन चुका था और सीमा पढ़ाई छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। उनके घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। सितंबर के समय में मलकानगिरी जिले के जिले के स्वाभिमान अंचल में पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी आई। उस वक्त राज्य सरकार ने स्वाभिमान अंचल के सभी परिवार को स्मार्टफोन मुफ्त देने का वादा किया। हालांकि सीमा को स्मार्टफोन नहीं मिल पाया क्योंकि उनका गाँव स्वाभिमान अंचल में नहीं आता।
महुआ का फूल इकट्ठा कर बेचने लगी
सीमा का गाँव घने जंगल में बसा हुआ है वह आदिवासी परिवार से तालुकात रखती हैं। सीमा ने देखा कि कुछ लोग जंगल के अंदर जाकर महुआ फूल लेकर आते हैं, कई लोग इसे बेचते हैं तो कुछ इसका खाद पदार्थ और दवाई बनाकर इस्तेमाल करते हैं। सीमा भी जंगल में जाकर महुआ का फूल इकट्ठा करने लगी और फिर इसे सुखाती और बेचती धीरे-धीरे महुआ को बेच बेच सीमा पैसा इकट्ठा करने लगी।सीमा ने पैसे इकट्ठा करके स्मार्टफोन खरीद लिया हालांकि उनके पास सबसे बड़ी समस्या थी कि वह अपने फोन को चार्ज कैसे करें क्योंकि उनके गांव में बिजली नहीं थी सीमा को अपना फोन चार्ज करने के लिए गांव से कुछ किलोमीटर दूर जाना होता था।
आपको बता दे कि महुआ का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। महुआ के फूलों में औषधीय गुण भी भरपूर होते हैं इसका इस्तेमाल डायरिया त्वचा और आंखों की बीमारियों के कि इलाज के लिए किया जाता है। वही आदिवासी इन फूलों का इस्तेमाल खमीर और बिना खमीर वाले पदार्थों के लिए करते हैं बिना खमीर वाले पदार्थों में हलवा, बर्फी बनाई जाती है।