नालंदा वासियों ने सौर ऊर्जा प्लांट को अपनी आमदनी का स्त्रोत बना लिया है। जरूरत अनुसार विद्युत उपभोग करने के बाद बची बिजली को बेच जिले के लोग हर माह हजारों रुपए कमा रहे हैं। ऐसे में जिले के गवर्नमेंट और निजी घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्लांट बनाकर उत्पादित बिजली से लोगों को काफी राहत मिल रही है। जिले के 250 सरकारी भवनों और 132 निजी घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्लांट तैयार कर रोजाना 2176 यूनिट बिजली सप्लाई की जा रही है। इससे हर महा तकरीबन चार लाख रुपए बिजली बिल बचता है।
जिले के 120 लोग सौर प्लांट से बिजली तैयार कर रहे हैं। विद्युत उपभोग करने के बाद बची बिजली को बिजली कंपनी के हाथों बेच कर मासिक दो लाख रुपए कमा रहे हैं। मालूम हो कि बिहार सरकार के जल जीवन हरियाली और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इन सौर ऊर्जा यूनिटों को स्थापित किया गया है। इस बार लगभग 22.59 करोड़ की राशि खर्च हुई है। इन प्लांटों से 20 से 25 वर्षों तक बिजली उत्पादन होगा। इसके देखरेख की जिम्मेदारी 5 वर्ष तक ब्रेडा को सौंपी गई है।
सौर प्लांट से बिजली तैयार कर बेचने की सरल प्रक्रिया की ओर तेजी से लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। इसका नतीजा है कि 48 नए उपभोक्ताओं ने सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित कर अतिरिक्त बिजली को बिजली कंपनी को बेचने के लिए नेट लोडिंग कनेक्शन लिया है, जबकि सरकारी भवनों पर तैयार सौर ऊर्जा प्लांट से बिजली कंपनी को बिजली बेचने के लिए नेट लोडिंग कनेक्शन दिया जा रहा है।
जिला मुख्यालय के साथ ही सभी प्रखंड कार्यालयों, अनुमंडल कार्यालयों, चिन्हित स्कूलों और अस्पतालों के भवनों के आकार के अनुसार ऊर्जा प्लांट लगाया गया है। मौजूदा समय में 250 प्लांटों से विद्युत आपूर्ति की जा रही है। खबर के मुताबिक इस महीने के आखिर तक 20 और प्लांट सक्रिय हो जाएंगे। अधिकांशतः सौर ऊर्जा प्लांट इस्तेमाल से अधिक बिजली का उत्पादन कर रही है। सौर ऊर्जा यूनिट लगाने की और आम लोगों में उत्सुकता देखा जा रहा है।