भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह साल यानी 2021 ठीक-ठाक गुजरा। लेकिन आने वाले नए साल में भारत अंतरिक्ष में कई ऐसे परीक्षण करने जा रहा है, जिससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की धाक जमेगी और भी बढ़ेगी वहीं पूरी दुनिया में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अपना लोहा मनवाने के लिए तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष उद्योग नए साल 2022 का लंबे समय से इंतजार कर रही है और यह उम्मीद लगाए बैठी है कि 2021 की अपेक्षा में साल 2022 में भारतीय अंतरिक्ष के लिए स्वर्णिम इतिहास लिखेगा।
साल 2022 में भारतीय अंतरिक्ष मिशन कार्यक्रम की शुरुआत ‘गगनयान’ मिशन के साथ करेगी और वर्ष के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दो मानवरहित मिशनों को भी शुरू करेगा। भारत सरकार ने कहा है कि, आने वाले सालों में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी वीनस मिशन, सोलर मिशन और स्पेस स्टेशन निर्माण को लेकर मिशन की शुरूआत करने को तैयार है। संसद में भी भारत सरकार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि साल 2022 में इसरों कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम वीनस मिशन की शुरूआत करेगा। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कुछ विलंबता जरूर हुई है, लेकिन इस साल भारत कई और मिशन को पूरा करने जा रहा है।
दुनिया की दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में विस्तार के लिए नई रणनीति तैयार की जा रही है और अमेरिका के तरफ भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके अलावे इसरो में एफडीआई को भी मंजूरी मिली है, ताकि इसरो के सामने आ रही वित्तीय समस्या को दूर किया जा सके। पूरी संभावना है कि इस साल भारत सरकार एफडीआई को लेकर तमाम नियमों को पूरा करेगी। मीडिया एजेंसी आईएएनएस की मानें तो वैश्विक अंतरिक्ष बाजार करीब 360 अरब डॉलर का है और साल 2040 तक अंतरिक्ष बाजार के एक ट्रिलियन डॉलर के होने की उम्मीद है, ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए जिम्मेदारियां और बढ़ने वाली है।
बता दें कि वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की साझेदारी फिलहाल 2 फीसद है। इसी को देखते हुए ग्लोबल अंतरिक्ष इंडस्ट्री के लिए भारत का राह आसान नहीं रहने वाला है। लेकिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने तकनीक को लेकर जो विस्तार किया है, वो इसे विश्व के अग्रणी स्पेस एजेसियों में से एक है। भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में इसी महीने जानकारी देते हुए बताया था कि अगले साल 2022 में गगनयान मिशन से पहले इसरो दो मानवरहित मिशनों को अंजाम देने वाला है और भारत सरकार की भी यही योजना है।
मीडिया न्यूज कंपनी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो के गगनयान मिशन को बनाने में 9 हजार 23 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसरो के गगनयान मिशन का वैज्ञानिक उपलब्धि मिशन होने के अलावा देश के लिए कई मायने में महत्व है। इसरो अब तक सैकड़ों सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में लॉन्च कर चुका है, लेकिन कभी कोई यान इंसानों को लेकर अंतरिक्ष में नहीं गया है। लेकिन अब गगनयान 4 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी चल रही है। साथ ही चारों अंतरिक्षयात्रियों को इसके लिए अभी से ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है। योजना के अनुसार सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल 2022 में गगनयान लॉन्च हो जाएगा। इसरो का यह मिशन सफल रहता है तो भारत, अमेरिका, चीन, रूस और जापान के क्लब में अपना नाम दर्ज कर लेगा।
मिशन गगनयान के तहत 4 अंतरिक्ष यात्री 7 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। फिर वो वापस धरती पर आएंगे। 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक राकर अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों को चारों अंतरिक्ष यात्री हासिल करेंगे। बता दें कि इससे पहले इसरो ने चंद्रयान नाम का मिशन लांच किया था। इसरो इस मिशन के अलावा समुद्र में भी खोज की तैयारी शुरू कर दी है आने वाले कुछ समय में भारत की तकनीक अंतरिक्ष के साथ ही समुद्र में भी ग्लोबल होगी। भारत सरकार के अंतरिक्ष मामले के मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा है कि ‘ समुद्र विज्ञान’ प्रोजेक्ट का नाम है जिसमें एक मानव युक्त पनडुब्बी को डेवलप किया जाएगा।
जितेंद्र सिंह ने बताया कि अक्टूबर 2021 में हल्के स्टील का निर्मित पनडुब्बी को 600 मीटर गहराई तक भेजा गया है, जिसका व्यास 2.1 मीटर था, जो मानवयुक्त है। इसे 6000 मीटर गहराई के लिए विकसित करने पर काम जारी है इसमें टाइटेनियम का उपयोग होगा। साथ ही इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो, तिरुवनंतपुरम का सहयोग है। इस प्रोजेक्ट पर 4100 करोड़ रुपये खर्च होगा इसे 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।