ट्रेन की रफ्तार बढ़ने के बाद अभी की अपेक्षा यात्री आधा समय में ही ट्रेन से यात्रा पूरा कर लेंगे। एक्सप्रेस ट्रेन तो और रफ्तार के साथ सवारी गाड़ी की तुलना में बेहद कम समय में स्टेशन पर पहुंच जाएगी। मौजूदा समय में सहरसा से गढ़ बरुआरी ट्रेन की रफ्तार 70 और उससे के आगे सुपौल तक 75 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पैसेंजर ट्रेन का परिचालन होता है। इस रफ्तार में सहरसा से सुपौल पैसेंजर ट्रेन को पहुंचने में 1 घंटा 10 मिनट का वक्त लगता है। रेल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बढ़कर 100 में जाने के बाद महेश 30 से 35 में सवारी गाड़ी सहरसा से सुपौल तक पहुंच जाएगी। इतने समय में ही सवारी गाड़ी सुबह से सहरसा आ जाएगी।
ऐसे में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स का समय बचेगा। वैसे यात्री जो व्यापारी हैं या रोजाना अपने नौकरी पेशा को लेकर यात्रा करते हैं, उन्हें काफी फायदा होगा। बता दें कि गत शुक्रवार को सुपौल ताके सहरसा से इंजन से सफल स्पीड ट्रायल किया गया। समस्तीपुर रेल डिवीजन के डीआरएम आलोक अग्रवाल, सीनियर डीईएन कोर्डिनेशन आर एन झा एवं डीईएन थ्री मयंक अग्रवाल के आदेश पर सहरसा से सुपौल रेल रूट पर ट्रेन की रफ्तार बनाने को लेकर तैयारी तेज है।
स्पीड ट्रायल के दौरान ट्रेन की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। इस ट्रेन को सहरसा से सुपौल 28 किलोमीटर की डिस्टेंस तय करने में महज 18 मिनट का समय लगा। स्पीड ट्रायल में सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ सुनील कुमार, सहायक मंडल अभियंता किशोर कुमार भारती, लोको इंस्पेक्टर जेके सिंह और टीआई किशोर कुमार गुप्ता थे। पीडब्लूआई अजय कुमार सुपौल में थे।
उधर, सहरसा से राघोपुर रेलखंड तक लूप लाइन में ट्रेनों की रफ्तार दुगनी हो गई है। लूप लाइन में 15 किलोमीटर घंटे प्रति रफ्तार से चलने वाली ट्रेन की गति 30 किलोमीटर हो गई है। सहरसा-राघोपुर रेलखंड जो कि 62 किलोमीटर लंबी है, गति बढ़ने का लाभ यह मिला है कि यह ट्रेन तीन मिनट पहले ही छह रेलवे स्टेशनों पर पहुंचने लगी है। प्रत्येक ट्रेन के परिचालन पर 15 से 20 मिनट समय बचत की बाते रेलवे कह रहा है।