UPSC की परीक्षा को पास करने के लिए उम्मीदवार लगातार कई सालों तक मेहनत करते हैं, तब जाकर कुछ युवाओं को सफलता मिलती है। इस बार UPSC के परीक्षा में कुल 761 अभ्यर्थियों ने क्रैक किया। इसमें से ही एक हैं बिहार के सत्यम गांधी। जिन्होंने ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल किया। इस सफलता को हासिल करने के पीछे उनकी कहानी देश के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। ग्रामीण परिवेश से आने वाले सत्यम ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए काफी संघर्ष किया।
भारत में आज भी बिहार को सबसे पिछड़े राज्यों में से एक माना जाता है। बिहार के समस्तीपुर जिले के दिघरा गांव के रहने वाले सत्यम गांधी ने स्थानीय स्तर पर ही अपनी पढ़ाई पूरी की। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन की। जिसके लिए दिल्ली गए। उनके पिता सरकारी विभाग में काम करते हैं और उनकी मां गृहिणी हैं। सत्यम ने दिल्ली पहुंचने से पहले ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। वे कैसे भी अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते थे। इसलिए कॉलेज के तीसरे वर्ष से ही उन्होंने तैयारी शुरू कर दी। और वह पढ़ाई में जुट गए। वह उन्होंने शादी समारोह और गैर जरूरी फ्रेंड सर्किल समेत सोशल मीडिया से भी दूरी बनाई, ताकि उनकी पढ़ाई में कोई बाधा ना हो। उन्हें फिल्म मेकिंग, फोटोग्राफी करना और किताबें पढ़ना पसंद है।
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उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ दयाल सिंह कॉलेज से राजनीति शास्त्र में वर्ष 2020 में स्नातक किया। शहर का कल्चर ग्रामीण इलाके के कल्चर से थोड़ा अलग होता है। इस माहौल में वह ढलें। वह एक निर्णय लेकर गांव से निकले थे कि मुझे यह किसी भी हाल में करना है और बिना किए वापस नहीं लौटना है। इस सोच के साथ वह पढ़ाई में डटे रहे। परिवार की उम्मीदें व सपने उनके जेहन में बसे थे।
सत्यम के इस स्ट्रगल में उनके परिवार को भी पूरी तरह से फाइनेंसियल स्ट्रगल करना पड़ा। उनके इस सत्यम के पढ़ाई के लिए उनके मम्मी-पापा ने बैंक से कर्ज लिया। उनके घर वालों का भी सपना था कि वह DM बनें। सत्यम कहते हैं कि उनके जीवन में कुछ खास स्ट्रगल नहीं रहा है पर थोड़ी बहुत आर्थिक समस्या रहती थी। इसलिए वह सेकंड ईयर में कॉलेज की पढ़ाई के साथ काम भी करते थे। सत्यम ने यह ठान लिया था कि वे किसी भी कीमत पर पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास करेंगे। सत्यम हर दिन करीब 8 से 9 घंटे पढ़ाई करते थे। पढ़ाई के दौरान उन्हें जहां भी कुछ कन्फ्यूजन होता, वो इंटरनेट का सहारा लेते थे। उनका मानना है कि UPSC में व्यक्ति का बैकग्राउंड या फिर पढ़ाई का मीडियम कुछ भी हो, लेकिन आयोग की तरफ से बेस्ट को चुना जाता है।