देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को पास करने के लिए अभ्यर्थी अपने जिंदगी के कई साल तक गुजार देते हैं। आईएएस बनना संघर्षों से भरा होता है, एक ऐसी ही कहानी आईएएस इरा सिंघल की है। जो स्कोलियोसिस बीमारी का शिकार थी, शरीर की हड्डी सही ढंग से काम नहीं कर रही थी। बावजूद इसके उन्होंने कभी इसे अपने रास्ते में नहीं आने दिया। इरा सिंघल ने यूपीएससी परीक्षा में टॉप कर कामयाबी की मिसाल पेश की।
उत्तर प्रदेश के मेरठ से आने वाली इरा सिंघल शुरू से ही मेधावी छात्रा रही है। मेरठ के गर्ल्स स्कूल लेकर दिल्ली के आर्मी पब्लिक स्कूल तक इरा ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया है। कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद इरा ने फैकेल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की पढ़ाई पूरी की।
आईएएस अफसर बनने तक का सफर मुश्किलों से भरा रहा है। साल 2010 में जब इरा भारतीय राजस्व सेवा में चयनित हो गई, बावजूद इसके विकलांगता के चलते नियुक्ति में सालों भर इंतजार करना पड़ा। मानसिक रूप से दुरुस्त इरा ने हिम्मत नहीं हारी, इसके बाद कई परीक्षाओं को पास भी किया। पिता ने IRS में नियुक्त ना होने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई, तो न्यायालय के निर्देश पर उन्हें प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। स्पेनिश लैंग्वेज जाने वाली इरा कोको कोला और कैडबरी जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनी में भी काम कर चुकी है।
इरा जरूरतमंद लोगों को सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहती है। 9 साल की थी, तभी उन्होंने उत्तरकाशी में भूकंप से पीड़ित लोगों को सारे पैसे दे दिए थे। मेडिकल फिल्ड में जाने की ख्वाहिश थी, लेकिन पिता ने उन्हें फिजिकल परेशानी को देखते हुए इंजीनियरिंग में जाने का सलाह दिया। बाद में इरा ने आईएएस बनने के लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
यहां भी इरा ने अपने प्रतिभा का डंका बजाते हुए, यूपीएससी के 2014 के परिणाम में ऑल इंडिया में पहला रैंक हासिल की। इरा की कामयाबी की कहानी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए प्रेरक है।