रेलकर्मियों और उनके परिजनों के लिए शुभ समाचार है। अब रेलकर्मियों के आश्रितों यानि उनके पत्नी और बच्चों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए परेशान नहीं होना होगा। विभाग के चक्कर लगाने से छुट्टी मिलेगी और दर-दर भटकना नहीं होगा। निर्धारित समय 3 महीने के भीतर ही नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि साल 2021-22 में 268 आश्रितों को इस आधार पर नियुक्ति हुई है। अकेले लखनऊ मंडल के कोरोना से मृत 22 रेलकर्मियों के आश्रितों नौकरी दी गई है।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नौकरी में राहत देते हुए लखनऊ मंडल ने सहयोग ऐप डिवेलप किया है। इस ऐप से रेल कर्मियों के आश्रितों को मदद मिलने लगा है। उन्हें विभाग के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल गई है। घर पर बैठे ही उन्हें समापक भुगतान और अनुकंपा से जुड़ी हुई सारी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। इस एप से रेलवे को भी प्रतिक्रिया मिल रही है। कर्मियों की बीमारी और बच्चों के तकनीकी व्यवसायिक शिक्षा के लिए भी मिलने वाली सहायता राशि में भारी वृद्धि की गई है।
पहले तकनीकी शिक्षा के लिए 18 हजार मिलते थे जिसे बढ़ाकर 30 हजार रुपए कर दिया गया है। एक करोड़ 45 लाख रुपए भुगतान किए जा चुके हैं। कैंसर या अन्य गंभीर बीमारी होने पर रेल कर्मियों ने उनके परिजन को 2 लाख का आर्थिक मदद किया जा रहा है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में लगभग 25 लाख रुपए भुगतान किए जा चुके हैं। केंद्रीय कर्मचारी कल्याण कोष से प्रत्येक मृत रेल कर्मचारी के परिजनों को 105 मामलों में दो-दो लाख की वित्तीय सहायता की गई है।
15 दिसंबर को पेंशन दिवस के दिन आयोजित कार्यक्रम में साढ़े 86 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। 2021 के जुलाई से ही अवकाश प्राप्त कर्मचारियों को ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल से समापक राशि की भुगतान हो रही है।