गेटवे ऑफ़ नेपाल के नाम से जाना जाने वाला रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे निर्माण को मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना पर टोटल 54 हजार करोड़ की लागत आएगी। यह एक्सप्रेसवे बिहार के 8 जिलों से होकर झारखंड और पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक पहुंचेगा। बता दें कि ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के तहत लगभग 490 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जाना है।
सिक्स से आठ लेने के उत्तर बिहार को जोड़ने वाले दूसरे एक्सप्रेसवे को मंजूरी मिल गई है। डीपीआर की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए लगभग 13 तकनीकी एजेंसियों ने टेंडर फाइल किया है। एजेंसी चयन होने के बाद डीपीआर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विभाग से मिल रही जानकारी के मुताबिक, इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में व्यवसायिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी, जिससे तीन राज्यों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होगी।
रक्सौल से शुरू हो रहा यह एक्सप्रेसवे मुजफ्फरपुर, छपरा, पटना, बिहारशरीफ, बांका, जमुई जिला से होते हुए झारखंड के देवघर, दुमका से वेस्ट बंगाल के पानागढ़ होते हुए हल्दिया पहुंचेगी। इसमें अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर कनेक्टिविटी बढ़ेगी। जानकार कह रहे हैं कि सर्वे और डीपीआर बन जाने के बाद तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी और यह एक्सप्रेस में किस हिस्से से होकर गुजरेगा।
नेपाल के लिए ज्यादातर माल भारत के अलावा तीसरे मुल्कों से आता है, जिसका सुगम रास्ता हल्दिया सी-पोर्ट है। यहां माल जहाज से करता है और ट्रेन व ट्रक से रक्सौल के सिरसिया के ड्राईपोर्ट पहुंचता है। यहां से माल की सप्लाई रक्सौल और इंडिया के नजदीकी शहरों में होती है। नेपाल की राष्ट्रीय रक्सौल ड्राईपोर्ट से झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए माल सप्लाई करने में सुविधा होगी। राज्य भी खुशहाल होंगे। इन पिछड़े राज्यों की वित्तीय स्थिति के सुदृढ़ होने से देश भी सशक्त होगा।