मोतिहारी हवाई अड्डा को विकसित करने की योजना है। दरभंगा के बाद यहां से विमान उड़ान भरेंगे। छोटे प्लेन के लिए यहां रनवे बनेगा। हवाई अड्डा को विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। नेपाल के सिमरा की तरह यह हवाई अड्डा बनेगा। जहां से छोटे फ्लाइट यात्रियों को लेकर उड़ान भरेगी। वर्तमान में एयरपोर्ट के पास अपनी 30 एकड़ भूमि है। उसके पास बिहार सरकार की 40 एकड़ जमीन को एयरपोर्ट में मिलाया जाएगा। जिससे इसकी लंबाई लगभग 700 मीटर हो जाएगी।
बता दें कि कागज पर जमीन का रूपरेखा तैयार कर अमीन की प्रतिनियुक्ति की गई है। बीते 4 दिनों से नक्शा बनाने में अमीन जुटे हैं। एक से 2 दिनों के अंदर नक्शा तैयार कर लिया जाएगा। जमीन का खाता, खेसरा और रकबा की लिस्ट भी बनाने को अमीन को कहा गया है। कर्मचारी से सभी खाता और खेसरा का मिलान किया जाएगा। इसके बाद प्रस्ताव तैयार कर कमिश्नर दफ्तर को सौंपा जाएगा। फिर वहां से प्रस्ताव राजस्व परिषद को भेजा जाएगा।
बता दें कि दरभंगा में हवाई अड्डा शुरू हो जाने के बाद से ही मोतिहारी वासी यहां भी एयरपोर्ट को विकसित करने की मांग पर आए हुए थे। पूर्व में स्थानीय लोगों ने इस बाबत डीएम को आवेदन भी दिया था। जिसके आधार पर यहां प्रक्रिया शुरू हो गई है। एयरपोर्ट के बनने से रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। विभिन्न तरह का रोजगार लोगों को मिल सकेगा। पिछले दिनों मुजफ्फरपुर में आयोजित आयुक्त की बैठक में स्थानीय अफसरों ने लोगों की मांग को उन तक पहुंचाया था। अफसरों ने बैठक में कहा था कि मोतिहारी में एयरपोर्ट बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में जमीन उपलब्ध है।
मोतिहारी के डीएम एसके अशोक ने बताया कि छोटे हवाई अड्डा के लिए मोतिहारी में पर्याप्त जमीन है। जिसे विकसित करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने की कवायद शुरू है। 10 दिनों के अंदर प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। एयरपोर्ट की मंजूरी मिलने से शहर का विकास होगा।
बता दें कि एयरपोर्ट के कुछ ही दूरी पर केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण हो रहा है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बन जाने के बाद एयरपोर्ट शहर के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मौजूदा समय में यहां के लोगों को हवाई यात्रा करने के लिए दरभंगा या राजधानी पटना जाना होता है। मोतिहारी में एयरपोर्ट बन जाने से पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज सहित नेपाल के लोगों को सुगमता होगी। वर्ष 1960 में ही भारत-नेपाल सीमा के रक्सौल शहर के तीन किलोमीटर दूर पनटोका पंचायत में भी एयरपोर्ट की नींव रखी गई थी। मात्र 2 साल विमान उड़ान भरने के बाद इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया। फिर समय दर समय आबादी बढ़ती रही और आसपास के इलाकों में लोगों का बस में शुरू हो गया।