हर साल नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से एमबीबीएस, बीडीएस और डेंटल कॉलेजों में दाखिले के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट परीक्षा का आयोजन किया था है। लाखों की संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित होते हैं।
कुछेक अभ्यर्थियों को ही सरकारी कॉलेजों में दाखिला मिल पाता है। कम रैंक लाने वाले अभ्यर्थी मजबूरन प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन को लेते हैं। इस कारण कई परिवारों की आर्थिक स्थिति पटरी से उतर जाती है। निर्धन परिवार से आने वाले बच्चे ज्यादा फीस होने के चलते प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला नहीं ले पाते हैं। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है जिसका बड़ा लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को मिलेगा।
हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 7, 2022
गत दिन यानि सोमवार, 7 मार्च 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन औषधि दिवस के मौके पर जन औषधि योजना का शुभारंभ किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमने निर्धारित किया है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल के कॉलेजों के अनुरूप ही फीस लगेगी। अगले साल से यह नियम लागू हो जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन ने गाइडलाइन में तैयार कर ली है। इस नियम को अगले सेशन से लागू कर दिया जाएगा। यह नियम प्राइवेट यूनिवर्सिटियों के अलावा डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ पर भी लागू होगा।
जानकारी के लिए बता दें कि भारत के सरकारी स्कूलों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए एक साल में अभ्यर्थियों को 80000 रुपए फीस देनी होती है। वहीं, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एक साल की फीस 10 लाख 15 लाख रुपए होती है। फीस ज्यादा होने के चलते देश के अधिकतर छात्र प्राइवेट कॉलेजों में ना पढ़कर दूसरे देशों जैसे यूक्रेन, रूस, कनाडा और चीन का रूख करते हैं।