बिहार के लाल प्रमोद भगत मेजर ध्यानचंद खेल रतन पुरस्कार पाने वाले पहले बिहारी बन गए हैं। वैशाली जिले के हाजीपुर से आने वाले प्रमोद भगत ने हाल ही में टोक्यो पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन किया था। बैडमिंटन प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर प्रमोद भगत ने सफलता अर्जित की थी इसी के चलते उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से नवाजा गया है। प्रमोद भगत पहले बिहारी बन गए हैं जिन्होंने इस सामान को अपने नाम किया है। बचपन में ही पोलियो से ग्रसित होने वाले प्रमोद की कहानी संघर्षों से भरी रही है।
हाजीपुर (बिहार) के ग्रामीण इलाके से आने वाले प्रमोद भगत बेहद ही साधारण परिवार से आते हैं। प्रमोद जब 4 साल के थे तब उन्हें पोलियो ने अपना शिकार बना लिया। बेहतर चिकित्सा के लिए वह भुवनेश्वर चले गए थे। यही पढ़ाई करते हुए खेलों में रुचि जगी। विद्यालय स्तर से ही बैडमिंटन प्रतियोगिता में हाथ आजमाया और अपनी प्रतिभा के दम पर नेशनल टीम में उड़ीसा बैडमिंटन टीम का अगुवाई किया।
𝗛𝗜𝗦𝗧𝗢𝗥𝗜𝗖 !! 🤩
Paralympic #gold medalist @PramodBhagat83 has become the #first player from #Odisha to be nominated for the prestigious Major Dhyan Chand #KhelRatnaAward – India's highest sporting honour.
Congratulations #Pramod!
Keep making Odisha proud. pic.twitter.com/RmXr3dHRXp— Odisha Sports (@sports_odisha) October 28, 2021
प्रमोद को अपनी प्रतिभा दिखाने का अंतरराष्ट्रीय मंच मिला। टोक्यो पैरालंपिक प्रतियोगिता में प्रमोद भगत भारत के तरफ से बैडमिंटन प्रतियोगिता में अगुवाई कर रहे थे। बेहतरीन प्रदर्शन से उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को मात दी और स्वर्ण पदक भारत के खाते में डिपोजिट किया। प्रमोद भगत लोगों के लिए प्रेरणा हैं।